बुधवार, 1 अप्रैल 2015

दिल्ली विश्वविद्यालय में विद्यार्थी परिषद की गुण्डागर्दी

दिल्ली विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अपने चरित्र के अनुरूप व्यवहार करते हुए छात्रों के जनवादी अधिकारों पर फिर से हमला किया है। हालिया मामला दो घटनाओं से जुड़ा हुआ है। पहले मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेन्ट यूनियन (डूसू), जिसकी सभी सीटों पर विद्यार्थी परिषद का कब्जा है, के संयुक्त सचिव ने मांग की कि खालसा कालेज की ड्रामा सोसाइटी ‘अंकुर थियेटर ग्रुप’ को बैन किया जाय। बकौल विद्यार्थी परिषद ‘अंकुर’ द्वारा किया गया नाटक ‘मशीन’ हिन्दुत्व के विरोध में है और छात्र-छात्राओं की भावनाओं को भड़काता है।
ये वही डूसू है जो विभिन्न कालेजों में कालेज फेस्ट में तमाम फूहड़ कार्यक्रमों पर कुछ नहीं बोलता। यहां तक कि इन्हें आर्गनाइज करवाने में इसकी भी भूमिका होती है। इस अश्लील उपभोक्तावादी संस्कृति से इसे कोई परेशानी नहीं। ये वही डूसू है जो एक छात्र मंच होने के बावजूद अब तक सरकार द्वारा लिये गये छात्र विरोधी फैसलों पर कुछ नहीं बोलता। पर उक्त मामले में यह बोला है। और उसका यह बोलना ही यह साबित करता है कि इसे छात्रों के जनवादी अधिकारों सेे कोई मतलब नहीं, उल्टा यह संगठन उसके विरोध में खड़ा है। 
दूसरे मामले में 22 मार्च को भगत सिंह का शहादत दिवस मना रहे एक वामपंथी छात्र संगठन (के.वाई.एस.) के कार्यकर्ताओं को इसके लंपट कार्यकर्ताओं ने दिल्ली यूनि., आर्ट फैकल्टी गेट के सामने पीटा। सबसे खतरनाक बात है कि ये सब दिल्ली पुलिस की उपस्थिति में हुआ। 
उक्त दोनों ही मामले इस बात को दिखाते हैं कि विद्यार्थी परिषद कैम्पस में छात्रों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलना चाहता है। यह इस बात को साबित करता है कि जो कोई भी जनवादी विचारों का प्रचार करेगा, छात्रों के अधिकारों के लिए लड़ेगा, जो भी उनकी सांप्रदायिक सोच के खिलाफ बोलेेगा, उस पर हमला किया जाएगा। 
यू तो विद्यार्थी परिषद हमेशा ही अपनी गुण्डागर्दी से कैम्पस में जनवादी विचारों को कुचलता रहा है लेकिन केन्द्र मेें मोदी नीत भाजपा सरकार बनने से इनके हौंसले चरम पर हैं। भाजपा के तमाम नेताओं का खुलेआम सांप्रदायिक बयान देना, भाजपा द्वारा तेजी से सत्ता का सांप्रदायिकरण करना, को भी इसी कड़ी में देखा जा सकता है। 
दिल्ली यूनि. की जनवादी ताकतों ने दोनों ही घटनाओं का पुरजोर विरोध किया है और उक्त मामले में विद्यार्थी परिषद के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किया। सभी प्रगतिशील ताकतों को एकजुट होकर कैम्पसों के फासीवादीकरण के खिलाफ संघर्ष खड़े करने होंगे।         
दिल्ली संवाददाता

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