क्रांतिकारी छात्र संगठनों का पहला कन्वेंशन
देश के विभिन्न राज्यों से 12 छात्र-युवा संगठनों द्वारा आयोजित कन्वेंशन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इससे पहले इन्हीं संगठनों द्वारा कुछ माह पूर्व ही त्मअवसनजपवदंतल ैजनकमदजे ल्वनजी ब्ंउचंपहद (त्ैल्ब्) का निर्माण किया गया। इस मंच के बैनर तले ही कन्वेंशन का आयोजन किया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 और बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ 8 अक्टूबर को कन्वेंशन का आयोजन किया गया। कन्वेंशन में देशभर से आए छात्रों ने अपने-अपने राज्यों में छम्च् (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) 2020 द्वारा शिक्षा पर ढाए जा रहे कहर के बारे में बात रखी।
कन्वेंशन में दिल्ली, पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बंगाल, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, बिहार आदि राज्यों से छात्र संगठन शामिल हुए। इन राज्यों से ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम, ऑल इंडिया रेवोल्यूशनरी स्टूडेंट्स आर्गेनाईजेशन, भगत सिंह स्टूडेंट्स फ्रंट, कलेक्टिव, डेमोक्रेटिक यूथ स्टूडेंट्स एसोसिएशन, इंकलाबी स्टूडेंट्स यूनिटी, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन, प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूथ फेडरेशन, प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स आर्गेनाईजेशन, प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स यूथ एसोसिएशन, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन ललकार व अन्य पर्यवेक्षक संगठनों से सदस्य-कार्यकर्ता मौजूद रहे।
सभा में बोलते हुए संगठनों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के जरिये शिक्षा के निजीकरण और भगवाकरण को बढ़ाने के मोदी सरकार के ताजे हमलों पर विरोध जताया। साथ ही पूर्व की सरकारों द्वारा उठाये गए इसी प्रकार के कदमों को भी अपने संघर्ष के निशाने पर लेने की ओर ध्यान देने की बातें की।
फासीवादी मोदी सरकार के हालिया हमलों के लागू होते ही देश के विभिन्न राज्यों में सरकारी स्कूलों को बंद किये जाने, सरकारी फंड में कटौती किये जाने और शिक्षा में गैरवैज्ञानिक चीजों को भरकर छात्रों के दिमाग में साम्प्रदायिक जहर घोले जाने के प्रति सचेत हो संघर्ष करने का फैसला किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के देश के कॉरपोरेट पूंजीपतियों की सेवा करने और दूसरी तरफ संघ के साम्प्रदायिक हिन्दू फासीवादी एजेंडे को बढ़ाने के पहलुओं को समाज के सामने स्पष्ट करने पर जोर दिया।
मोदी सरकार के फासीवादी हमलों के खिलाफ संघर्ष करते हुए, अन्य राजनीतिक पार्टियों के भी पूंजीपति परस्त चरित्र को हमेशा याद रखने और किसी भ्रम में न रहने को भी संगठनों ने चिन्हित किया।
सभा में बात रखते हुए सभी वक्ताओं ने देश में बढ़ती बेरोजगारी और मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध किया। सरकारी संस्थानों के निजीकरण, अग्निवीर जैसी योजनाओं को लाकर युवाओं के रोजगार पर सरकार द्वारा निरंतर हमला बोलने की प्रक्रिया को वक्ताओं द्वारा चिन्हित किया गया। साथ ही निजी क्षेत्र में श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों के जरिये भावी मजदूरों (मौजूदा छात्र-नौजवानों) को गुलामों सी स्थितियों की ओर धकेलने पर रोष जताया गया। ऐसे में सबको सम्मानजनक स्थाई रोजगार के संघर्ष के लिए युवाओं को एकजुट होकर संघर्ष करने पर जोर दिया गया।
क्रांतिकारी छात्र संगठनों के इस कन्वेंशन ने परस्पर अधिक तालमेल बनाने और छात्र-नौजवानों की क्रांतिकारी लामबन्दी करने पर जोर दिया। देशभर से आए 600 से ऊपर छात्रों युवाओं के जोशीले नारों, गीतों के साथ कन्वेंशन का समापन किया गया।
कार्यक्रम से उत्साहित संगठन के प्रतिनिधियों ने इस पहल को देश के विभिन्न भाषा-भाषी क्रांतिकारी छात्र-युवा संगठनों की यह साझा कार्यवाही कहा। जो कि काफी उम्मीदों और सम्भावनाओं के रास्ते खोलती है। और कई नयी चुनौतियों को भी पेश करती है।
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