बेखौफ आजादी के लिए दिल्ली वि.वि. की छात्राओं का प्रदर्शन
दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ कॉलेज ऑफ वुमेन में 28 मार्च को एक फेस्ट आयोजित हुआ। फेस्ट के दौरान बाहर से कुछ अराजक लड़के जबरन संस्थान के अंदर घुस गये। छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की। छात्राओं ने इसका विरोध किया और फेस्ट के दौरान अफरा-तफरी हुई। इंद्रप्रस्थ कॉलेज से पहले भी दिल्ली वि.वि. के मिरांडा और गार्गी कॉलेज में छात्राओं से छेड़छाड़ की घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में कॉलेज में आयोजित फेस्ट में सुरक्षा के उचित इंतजाम न होना, घोर लापरवाही है।
कॉलेज प्रिंसिपल और वि.वि. प्रशासन को इस लापरवाही पर छात्राओं से माफी मांगनी चाहिए थी। लेकिन पदासीन जिम्मेदार लोग अपनी साख बचाने के लिए पुलिस का इंतजाम करते हैं ताकि छात्र-छात्रायें इस घटना का विरोध न कर सकें। 29 मार्च को हुए प्रदर्शन को रोकने के लिए मुस्तैदी से खड़े पुलिस बलों ने छात्र-छात्राओं को रोका, पकड़कर कुछ घंटों के लिए गिरफ्तार भी किया। पुलिस ने उतनी ही मुस्तैदी छात्राओं द्वारा उपलब्ध करायी गयी फोटो-वीडियोग्राफी के आधार पर अपराधियों को पकड़ने में नहीं दिखायी।
सड़-गल चुकी हमारी व्यवस्था में पदों पर आसीन जिम्मेदार लोगों का यही हाल है। वे समाज में दुर्गंध फैला रही घटनाओं को लुका-छिपा कर अपनी आंखें मूंद लेना चाहते हैं। जांच समिति बना कॉलेज प्रशासन ने अपना दायित्व निभा दिया। शायद ही इस जांच समिति के आधार पर आगे कोई उचित व्यवस्था हो। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के संघर्ष को सलाम जो इसके खिलाफ लड़ रहे हैं। छात्राओं की इस संघर्ष में जुझारू भूमिका है। यह जुझारू भूमिका ही छात्राओं की शिक्षा, रोजगार सहित पूरे समाज में बराबरी की भूमिका बनाने की राह खोलेगी।
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