कलाक्षेत्र कॉलेज में लैंगिक उत्पीड़न पर छात्राओं को चुप कराने की कोशिश
चेन्नई स्थित कलाक्षेत्र फाउंडेशन देश के प्रमुख सांस्कृतिक संस्थानों में है। यहां भरतनाट्यम, कथकली जैसे नृत्यों के अलावा गीत-संगीत की शिक्षा दी जाती है। 1936 मंे स्थापित इस संस्थान को 1993 से राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता दी गयी।
इसके बाद संस्थान में छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। कलाक्षेत्र में मीडिया को जाने से रोक दिया गया। जब मीडिया को भीतर जाने की इजाजत मिली तो छात्राओं ने मीडिया में आरोपी शिक्षकों के बारे अपनी शिकायतें दर्ज कराई। इसके बाद 30 मार्च से 6 अप्रैल तक संस्थान को बंद कर दिया गया और हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं को 2 दिन के भीतर हॉस्टल खाली करने को कहा गया। जाहिर है छात्राओं के प्रदर्शन से घबराकर संस्थान को बंद कर प्रशासन ने मामले को ठण्डा करने की साजिश रची।
राज्य की विधानसभा में सवाल उठने पर सरकार ने पुलिस में कोई शिकायत दर्ज न होने का हवाला दिया। अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर ने भी मीडिया में कोई लिखित शिकायत न मिलने की बात कही। साथ ही वे लोगों से सोशल मीडिया में इस मामले से जुड़ी ‘‘भ्रामक’’ जानकारी शेयर न करने की हिदायत देने से नहीं चूके।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा ए.एस.कुमारी ने कलाक्षेत्र का दौरा कर इस मामले में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपने की बात कही। अभिभावकों ने बताया कि उन्हें बच्चों का एडमिशन कराने के बाद संस्थान में नहीं आने दिया जाता है। उन्हें केवल पढ़ाई समाप्त होने के बाद संस्थान में होने वाले आयोजन में केवल आडिटोरियम में ही प्रवेश करने दिया जाता है।
कलाक्षेत्र की छात्राऐं बहादुरी से संघर्ष कर रही हैं। छात्राओं का संघर्ष; संस्थान प्रशासन, पुलिस, राज्य और केन्द्र सरकार की; यौन हिंसा पर लफ्फाजी को बेनकाब कर रहा है। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के बहुप्रचारित नारे की पोल खोलता कलाक्षेत्र संस्थान की छात्राओं का संघर्ष ही शिक्षण संस्थानों सहित पूरे समाज में छात्राओं-महिलाओं को उचित सम्मान दिलाने की राह सुगम बनाएगा।
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