PET: नौकरी पाने के लिए एक और परीक्षा की बाधा
- पृथ्वी
PET: (Preliminary Eligibility Test) उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य स्तरीय ग्रुप बी व ग्रुप सी के पदों पर भर्ती में बाधा पैदा करने की नयी योजना भर हैै। PET सर्टिफिकेट की मान्यता 1 वर्ष की है जिसके बाद पुनः परीक्षा देनी होगी। PET परीक्षा देने की योग्यता कम से कम कक्षा 10 व आयु सीमा 18 से 40 वर्ष निर्धारित है। PET शिक्षा विभाग में ज्म्ज् व ैनचमत ज्म्ज् जैसी परीक्षा है, जिसके जरिये भर्ती प्रक्रिया और कठिन बना दी गयी।
15 व 16 अक्टूबर को च्म्ज् परीक्षा दो पालियों में करायी गयी। परीक्षा के लिए 37 लाख से भी अधिक छात्रों ने आवेदन किया। परीक्षा प्रदेशभर में 1200 से अधिक केंद्रों पर हुई। परीक्षा के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की थी। परीक्षा केन्द्र बहुत दूर-दूर, परीक्षा केन्द्रों में एक दिन पूर्व तक बदलाव करना, ट्रेन-बसों की संख्या न बढ़ाये जाने से हुयी कठिनाइयों के कारण 37 लाख में से 12 लाख छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी। बदइंतजामी कि खबरें यहां तक थी कि कुछेक परीक्षा केन्द्रों के अन्दर बारिश के पानी में ही छात्रों को परीक्षा देनी पड़ी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बिना कोई खास इंतजाम किए लाखों बेरोजगारों से करोड़ों रुपये ऐंठ लिए। परीक्षा फॉर्म के नाम पर प्रति छात्र 185 रुपये वसूले। अनुमानतः सरकार ने केवल परीक्षा फॉर्म से ही 68,45,00,000 रुपये की कमाई की। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम ने दो दिनों में 10 करोड़ से अधिक की कमाई की।
पहले किसी भी भर्ती के लिए प्रारम्भिक व मुख्य परीक्षा देनी होती थी। कोई भी छात्र किसी भी भर्ती के लिए आवेदन कर सकता था। PET के आ जाने से अब छात्र को इस परीक्षा को पास किये बिना दूसरी किसी भर्ती में आवेदन नहीं करने दिया जायेगा। दूसरे, इस परीक्षा में कक्षा 10 से उच्च शिक्षा तक के छात्र आवेदन कर सकते हैं। इससे छात्रों के बीच प्रतियोगिता और अधिक बढ़ जायेगी और कटऑफ बहुत ज्यादा हो जाएगी।
इस नयी परीक्षा से छात्रों में प्रतियोगिता और तनाव ही बढ़ेगा। इससे नौकरी पाने के अनुचित तरीकों और भ्रष्टाचार के मामलों में और बढ़ोत्तरी हो जायेगी। सरकार गलाकाटू प्रतियोगिता के बाद भयंकर बेरोजगारी का इलजाम भी छात्रों पर ही लगा देगी। PET नाम से नयी परीक्षा नौजवानों के नौकरी पाने के प्रयासों में एक नया रोड़ा भर है। सरकारी प्रचार से अलग यह है PET परीक्षा की असली सच्चाई!
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