बुधवार, 23 नवंबर 2022

 हरियाणाः105 सरकारी स्कूलों को बंद करने का आदेश

हरियाणा सरकार ने मजदूर-मेहनतकश छात्र और शिक्षक विरोधी फैसला लेते हुए 105 सरकारी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है। इस आदेश के अनुसार 3 किमी. के दायरे के उन सरकारी स्कूलों पर ताला लगा दिया जायेगा जहां छात्र संख्या 25 से कम है। इन स्कूलों को 3 किमी. के दायरे में स्थित अन्य स्कूल में विलय (मर्ज) कर दिया जायेगा। इन स्कूलों को बंद करने के लिए कम छात्र संख्या का बहाना बनाया गया है। जाहिर सी बात है कि इसका असल मकसद शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देना है। मौजूदा सरकारी स्कूलों को बंद करने और शिक्षा को निजी हाथों में सौंपने का एक अन्य प्रमाण हरियाणा सरकार ने और दिया है। इसको उन्होंने चिराग योजना का नाम दिया है। इसके अनुसार अगर छात्र सरकारी स्कूल से निजी स्कूल में प्रवेश लेता है तो सरकार उसको 500 से लेकर 1100 रुपये तक फीस के रूप में देगी।

यह बड़ी अजीब बात है कि सरकार के पास सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने, रिक्त पदों को भरने के लिए पैसे नहीं है लेकिन निजी स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए वहां की फीस देने के लिए पैसे हैं। शिक्षा के निजीकरण को बढ़ाने, पूंजीपतियों को सीधे लाभ पहुंचाने वाले इस कदम पर सरकार बड़ी बेशर्मी से आगे बढ़ रही है। 

इसी तरह शिक्षकों पर हमला बोलते हुए सरकार उनके पदों को समाप्त करने को आतुर है। सरकार ने नई तबादला नीति के तहत शिक्षकों पर हमला बोला है। इस नीति के लागू होने पर शिक्षकों के 15,444 पदों को खत्म कर दिया जायेगा। इस समय हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 90,156 शिक्षक पढ़ा रहे हैं। नई तबादला नीति के लागू होने पर शिक्षकों की संख्या 74,712 हो जायेगी। यहां यह भी गौरतलब है कि हरियाणा के स्कूलों में पहले से ही 35,980 शिक्षकों के पद रिक्त हैं।

एक तरफ सरकार बच्चों की कमी का बहाना बनाकर सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है तो दूसरी तरफ बच्चों से शिक्षक छीनकर सरकारी स्कूलों को बर्बाद करने की कोशिश कर रही है। हरियाणा सरकार द्वारा लाखों बच्चों के भविष्य को अंधेरे में डालने की कोशिश की जा रही है जिसको लेकर प्रदेशभर में शिक्षक-छात्र आक्रोशित हैं। एक तरफ सरकार हजारों पदों को ना भरकर सरकारी स्कूलों को बर्बाद कर रही है। दूसरी तरफ शिक्षक बनने का सपना देख रहे, लाखों नौजवानों के भविष्य को भी अंधकारमय कर रही है। स्कूलों को बचाने की लड़ाई छात्र, नौजवान, शिक्षक, अभिभावक सभी की साझा लड़ाई बनती है।

छात्र और शिक्षक ये लड़ाई लड़ रहे हैं। हरियाणा के कई स्कूलों के छात्र-छात्राएं सरकार के इस गरीब विरोधी फैसले के विरोध मंे सड़कों पर उतरे। उन्होंने अपने स्कूलों पर धरना दिया। शिक्षकों ने भी इसके विरोध में धरना-प्रदर्शन किये। आज सरकारी शिक्षा को बचाने की यह लड़ाई एक बड़ी लड़ाई है। इसके लिए व्यापक एकता बनाकर संघर्ष करने की जरूरत है। 

आज सरकारें चाहे वे केन्द्र में बैठी सरकार हो या राज्यों की सरकारें सभी सरकारी संस्थानों को बेचकर पूंजीपतियों के हाथों में सौंप रही हैं। सरकारी नौकरियों को खत्म किया जा रहा है। जो भी जनता के टैक्स से खड़े किये गये संसाधन थे, उनको कौड़ियों के भाव अंबानी-अडानी आदि पूंजीपतियों को लुटाया जा रहा है। सरकारों ने शिक्षा को भी इन पूंजीपतियों के हाथों सौंप दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी शिक्षा के निजीकरण को तेजी से बढ़ाने के लिए ही लागू की जा रही है। इसके खिलाफ संघर्ष मेहनतकश जनता की व्यापक एकता की मांग करता है। ऐसा संघर्ष जो सरकारों को अपनी जनविरोधी नीतियों को वापस लेने पर मजबूर कर सके। ऐसा संघर्ष ही सबको निःशुल्क और वैज्ञानिक शिक्षा की मांग को पूरा करवा सकता है। आज हमें अपने स्कूल, अपनी शिक्षा और अपना भविष्य बचाने के लिए जुझारू संघर्ष लड़ने के लिए कमर कसने की जरूरत है।

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