गुरुवार, 26 जुलाई 2018

मणिपुरः छात्र-शिक्षक आंदोलनरत

मणिपुर विश्विद्यालय के छात्र-छात्राएं और अध्यापक पिछले लम्बे समय से आंदोलनरत हैं। 30 मई से यहां शिक्षण कार्य बंद है और सभी छात्र धरने पर बैठे हैं। लम्बे चले धरने के बाद 9 जुलाई से यहां क्रमिक भूख हड़ताल चल रही है, जो कि 24 जुलाई तक जारी रहेगी।

छात्र-शिक्षकों का यह लम्बा जुझारू आंदोलन लचर हो रहे कालेज व्यवस्था के खिलाफ है। जिसका मुख्य दोषी वे यहां के कुलपति आद्या प्रसाद पांडे को मानते हैं और उनके तत्काल इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। छात्र, शिक्षकों कहना है कि कुलपति एक महीने में मात्र 10 दिन ही वि.वि. में आते हैं। कुलपति ज्यादातर सरकारी खर्च में यात्राओं में मशगूल रहते हैं। जिस कारण कालेज के तमाम काम ठप्प पडे़ हैं। परीक्षा परिणामों की घोषणा, एडमिशन, नौकरियों के लिए छात्रों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन आदि सभी काम कुलपति की अनुपस्थिति के कारण नहीं हो पा रहे हैं। जिस कारण ही यहां के छात्रों, शिक्षकों के बीच काफी आक्रोश है।

इसके अतिरिक्त छात्र, शिक्षक मांग कर रहे हैं कि कालेज में शैक्षिक गतिविधियां ठीक से हो जिसके लिए यहां खाली पडे़ पदों को तत्काल भरा जाए। गौरतलब है कि मणिपुर वि.वि. में शिक्षकों के 115 पद खाली पडे़ हैं। गैर शैक्षिक पदों पर कुलपति अपनी पसंद के लोगों को ठेके पर रख रहे हैं। आंदोलन के एक हिस्से द्वारा कुलपति पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जुड़े होने और शिक्षा का भगवाकरण के भी आरोप लगाये जा रहे हैं। इन सब के अतिरिक्त कुलपति कई आरोपों से घिरे हुए हैं।

डेढ़ माह से चल रहे इस संघर्ष जो अभी तक जारी है, के बावजूद छात्रों की मांग पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। कुलपति का व्यवहार और छात्र-शिक्षकों का आंदोलन इतना साफ-साफ है कि कोई भी कुलपति के समर्थन में नहीं है। इस उम्मीद से कि छात्र थक-हारकर कक्षाओं में लौट जायेंगे और सरकार अपने प्यारे कुलपति को बचा लेगी।      

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