कोलकाता के सत्यजित रे फिल्म व टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई) से 14 छात्राओं को निष्कासित कर दिया गया है। संस्थान प्रबंधन ने छात्राओं का हाॅस्टल, छात्रों के हाॅस्टल से अलग करने का निर्णय लिया है। जिसका ये छात्राएं विरोध कर रही थीं।
संस्थान प्रबंधन ने सुरक्षा का हवाला देकर छात्र और छात्राओं के हाॅस्टल अलग करने का निर्णय लिया है। इसे लेकर तकरीबन एक हफ्ते से छात्राओं और प्रबंधन के बीच विवाद चल रहा था। साथ ही पिछले कई हफ्तों से संस्थान के मेन गेट पर छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन चल रहा था। आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं का मानना है कि छात्राओं के हाॅस्टल अलग करके उनके हाॅस्टलों के लिए अलग से नियम-कानून बनाने की संस्थान की मंशा है। इसे छात्राओं की सुरक्षा का हवाला देकर करने की कोशिश की जा रही है परंतु ये एक तरह की मोरल पुलिसिंग है।
छात्राओं की सुरक्षा का बहाना बनाकर उन्हें हाॅस्टलों में कैद करने की सोच पूरे देश के शिक्षण संस्थानों में पहले से ही काम कर रही है। इसके पीछे पुरुष प्रधान मानसिकता काम करती है। जिसके आधार पर महिलाओं को हमेशा घर की चारदीवारी में कैद रखना चाहिए तभी वो सुरक्षित रह सकती हैं। हाल में बीएचयू में चले छात्राओं के आन्दोलन में भी छात्राएं इसी सोच के खिलाफ संघर्ष कर रही थीं। और अब इस संस्थान में भी छात्राएं संघर्षरत हैं। दोनों ही जगह ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली केन्द्र की संघी सरकार ने छात्राओं की आवाज को कुचलने की कोशिशें की हैं। परंतु ये आवाजें दबेंगी नहीं
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