शनिवार, 25 नवंबर 2023

 शेर आया, शेर आया दौड़ना                                 -सआदत हसन मंटो

ऊंचे टीले पर गडरिए का लड़का खड़ा, दूर घने जंगलों की तरफ मुँह किए चिल्ला रहा था, ‘‘शेर आया, शेर आया दौड़ना।’’ बहुत देर तक वो अपना गला फाड़ता रहा। उसकी जवाँ बुलंद आवाज बहुत देर तक फिजाओं में गूंजती रही। जब चिल्ला-चिल्ला कर उसका हलक सूख गया तो बस्ती से दो-तीन बुढ्ढे लाठियां टेकते हुए आए और गडरिए के लड़के को कान से पकड़ कर ले गए।पंचायत बुलाई गई। बस्ती के सारे अक्लमंद जमा हुए और गडरिए के लड़के का मुकदमा शुरू हुआ। फर्द-ए-जुर्म1 ये थी कि उसने गलत खबर दी और बस्ती के अमन में खलल डाला।

लड़के ने कहा, ‘‘मेरे बुजर्गो, तुम गलत समझते हो, शेर आया नहीं था लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वो आ नहीं सकता?’’

जवाब मिला, ‘‘वो नहीं आ सकता।’’

लड़के ने पूछा, ‘‘क्यों?’’

जवाब मिला, ‘‘महकमा-ए-जंगलात2 के अफसर ने हमें चिट्ठी भेजी थी कि शेर बुढ्ढा हो चुका है।’’

लड़के ने कहा, ‘‘लेकिन आपको ये मालूम नहीं कि उसने थोड़े ही रोज हुए कायाकल्प कराया था।’’

जवाब मिला, ‘‘ये अफवाह थी। हमने महकमा-ए-जंगलात से पूछा था और हमें ये जवाब आया था कि कायाकल्प कराने की बजाय शेर ने तो अपने सारे दाँत निकलवा दिए हैं क्योंकि वो अपनी जिंदगी के बकाया दिन अहिंसा में गुजारना चाहता है।’’

लड़के ने बड़े जोश के साथ कहा, ‘‘मेरे बुजर्गो, क्या ये जवाब झूठा नहीं हो सकता।’’

सब ने ब-यक3 जबान हो कर कहा, ‘‘कतई नहीं। हमें महकमा-ए-जंगलात के अफसर पर पूरा भरोसा है। इसलिए कि वो सच बोलने का हलफ उठा चुका है।’’

लड़ने के पूछा, ‘‘क्या ये हलफ4 झूठा नहीं हो सकता?’’

जवाब मिला, ‘‘हर्गिज नहीं.... तुम साजिशी हो, फिफ्थ कालमिस्ट हो, कम्युनिस्ट हो, गद्दार हो, तरक्की पसंद हो....सआदत हसन मंटो हो।’’

लड़का मुस्कुराया, ‘‘खुदा का शुक्र है कि मैं वो शेर नहीं जो आने वाला है.... महकमा-ए-जंगलात का सच बोलने वाला अफसर नहीं, मैं....’’

पंचायत के एक बूढ़े आदमी ने लड़के की बात काट कर कहा, ‘‘तुम उसी गडरिए के लड़के की औलाद हो जिसकी कहानी साल-हा-साल5 से स्कूलों की इब्तिदाई जमा’तों6 में पढ़ाई जा रही है। तुम्हारा हश्र भी वही होगा जो उसका हुआ था.... शेर आएगा तो तुम्हारी ही तिक्का बोटी उड़ा देगा।’’

गडरिए का लड़का मुस्कुराया, ‘‘मैं तो उससे लड़ूंगा। मुझे तो हर घड़ी उसके आने का खटका लगा रहता है। तुम क्यों नहीं समझते हो कि शेर आया, शेर आया वाली कहानी जो तुम अपने बच्चों को पढ़ाते हो आज की कहानी नहीं.... आज की कहानी में तो शेर आया शेर आया का मतलब ये है कि खबरदार रहो, होशियार रहो। बहुत मुमकिन है शेर के बजाय कोई गीदड़ ही इधर चला आए मगर उस हैवान को भी तो रोकना चाहिए।’’

सब लोग खिलखिला कर हंस पड़े, ‘‘कितने डरपोक हो तुम.... गीदड़ से डरते हो।’’

गडरिए के लड़के ने कहा, ‘‘मैं शेर और गीदड़ दोनों से नहीं डरता। लेकिन उनकी हैवानियत से अलबत्ता जरूर खाइफ7 रहता हूँ और उस हैवानियत का मुकाबला करने के लिए खुद को हमेशा तैयार रखता हूँ। मेरे बुजर्गो, स्कूलों में से वो किताब उठा लो जिसमें शेर आया, शेर आया वाली पुरानी कहानी छपी है, उसकी जगह ये नई कहानी पढ़ाओ।’’

एक बुड्ढे ने खांसते खंकारते हुए कहा, ‘‘ये लौंडा हमें गुमराह करना चाहता है। ये हमें राह-ए-मुस्तकीम8 से हटाना चाहता है।’’

लड़के ने मुस्कुरा कर कहा, ‘‘जिंदगी खत-ए-मुस्तकीम9 नहीं है मेरे बुजर्गो।’’

दूसरे बूढ़े ने फर्त-ए-जज्बात10 से लरजते हुए कहा, ‘‘ये मुल्हिद11 है। ये बेदीन12 है, फित्ना परदाजों13 का एजेंट है। इसको फौरन जिन्दां14 में डाल दो।’’

गडरिए के लड़के को जिन्दां में डाल दिया गया।

उसी रात बस्ती में शेर दाखिल हुआ, भगदड़ मच गई। कुछ बस्ती छोड़ कर भाग गए। बाकी शेर ने शिकार कर लिये। मूंछों के साथ खून चूसता जब शेर जिन्दां के पास से गुजरा तो उसने मजबूत आहनी15 सलाखों के पीछे गडरिए के लड़के को देखा और दाँत पीस कर रह गया।

गडरिए का लड़का मुस्कुराया, ‘‘दोस्त, ये मेरे बुजुर्गों की गलती है, वर्ना तुम मेरे लहू का जायका भी चख लेते।’’


1. फर्द-ए-जुर्म= आरोप पत्र 2. महकमा-ए-जंगलात= वन विभाग 3. ब-यक= एक 4. हलफ=प्रतिज्ञा 5. साल-हा-साल = वर्षों से 6. इब्तिदाई जमा’तों = प्राथमिक कक्षाओं 7. खाइफ= डरना 8. राह-ए-मुस्तकीम = सीधा रास्ता 9. खत-ए-मुस्तकीम = दाढ़ी के सीधे बाल 10. फर्त-ए-जज्बात = भावातिरेक

11. मुल्हिद = विधर्मी 12. बेदीन =नास्तिक 13. फित्ना परदाजों = विद्रोह का पोषण करने वालों 14. जिन्दां= जेल 15. आहनी= लोहे

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