-अम्बिका
आईसीसी विश्व कप क्रिकेट का आयोजन इस बार आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में संयुक्त तौर पर हुआ। 14 फरवरी से 29 मार्च तक चले इस आयोजन में 14 टीमों के बीच 49 मैच खले गये।
क्रिकेट भारत का एक लोकप्रिय खेल है। स्टेडियम व मैदानों से लेकर गली मुहल्लों से लेकर गांवों में खाली पडे़ खेतों तक यह खेल खेला जाता है। क्रिकेट को खेलने वालों से ज्यादा इसे देखने वालों की संख्या है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक इस खेल के प्रति एक विचित्र जुनून दिखाई देता है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के हरेक आयोजन वैसे तो उत्सव का रूप ग्रहण कर लेते हैं पर विश्व कप क्रिकेट तो महोत्सव या कार्नीवल का रूप धारण कर लेता है। क्रिकेट इसके करोड़ों दर्शकों के लिए भले ही मनोरंजक खेल हो, वे इस खेल को राष्ट्रीय गौरव से जोड़ते हों लेकिन इसके आयोजकों-प्रायोजकों व प्रसारणकर्ताओं के लिए यह एक व्यवसाय है जिसके मूल में अधिकाधिक मुनाफा कमाना है।
क्रिकेट ही नहीं पूंजीवाद में जहां बड़े पैमाने पर खेलों का आायेजन अपने आप में बड़े पूंजी निवेश की मांग करता है, हर खेल एक कारपोरेट व्यवसाय बन जाता है। किसी खेेल के प्रायोजक इसी बात से प्रस्थान करते हैं कि उस खेल में मुनाफे की कितनी संभावना है।
क्रिकेट आज किस हद तक व्यवसाय या उद्योग बन चुका है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्व कप की आयोजक ‘अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल’ (आईसीसी) और विभिन्न क्रिकेट बोर्ड जो मुनाफा कमाते हैं, बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुनाफे उससे कमतर दिखते हैं।
विश्व कप 2015 से आईसीसी को कुल 20 करोड डालर यानी 13 अरब रुपये का शुद्व लाभ होने का अनुमान है। 2011 के विश्वकप में आईसीसी ने 20 अरब 80 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया था। भारतीय उपमहाद्वीप में आयोजित होने के कारण इसका मुनाफा 2011 में काफी ऊंचा रहा।
आईसीसी को भारी मात्रा में आमदनी आयोजकों व टेलीविजन अधिकारों द्वारा होती है। टिकट बिक्री से होने वाला मुनाफा इसके सामने कुछ नहीं है। आईसीसी को टेलीविजन प्रसारण के अधिकारों से ही 70 प्रतिशत आमदनी होती है। इस बार टेलीविजन प्रसारण के अधिकार ईएसपीएन व स्टार स्पोटर्स ने 50-50 की भागीदारी के साथ खरीदे आईसीसी को 2007 से 2015 के बीच क्रिकेट मैचों के प्रसारण या टीवी राइट्स द्वारा 1.6 अरब डालर यानी लगभग 104 अरब रुपये की आमदनी हासिल हुई थी।
आईसीसी ने 2015 से 2023 (आठ साल) तक के लिए क्रिकेट मैचों के प्रसारण के अधिकार 2 अरब डालर में ईएसपीएन व स्टार स्पोर्ट्स को बेच दिये हैं। इन 8 सालों में दो एकदिवसीय विश्व कप (2019 व 2023) व दो टी-20 विश्व कप (2016 व 2020) सहित 18 बडे़ क्रिकेट टूर्नामेन्ट शामिल हैं।
इस बार विश्वकप में 49 मैचों के 400 घंटे के कार्यक्रम से कुल आमदनी 500 मिलियन डालर यानी लगभग 32 अरब 50 करोड़ रुपये होगी।
इस विश्व कप से 332 मिलियन डालर का शुद्ध मुनाफा आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड के पर्यटन उद्योग को होगा। विश्व कप क्रिकेट मैचों के प्रसारण से (आंखों देखा हाल सुनाकर) आॅल इंडिया रेडियो ने फरवरी के अंतिम सप्ताह तक 5 करोड़ रुपये कमा लिए। विश्व कप 2011 में आॅल इंडिया रेडियो ने 18 करोड़ रुपये की आमदनी क्रिकेट मैचों के आंखों देखा हाल सुनाकर की। इस बार यह मुनाफा बढ़ने की उम्मीद है।
इस बार विश्वकप से और अधिक मुनाफा कमाने के लिए क्रिकेट मैचों का प्रसारण 6 अलग-अलग भाषाओं में किया जा रहा है। इस बार मैचों को अधिक आकर्षक व रोमांचक बनाने के लिए हाई डे फिनिशन फारमैट (HD FORMAT) का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रसारण को और अधिक दमदार व आकर्षक बनाने के लिए मैदान पर 29 कैमरे लगाये गये हैं जिसमें गतिशील अल्ट्रा मोशन कैमरा व मैदान पर तैरने वाला स्पाइडर कैम का इस्तेमाल 13 महत्वपूर्ण मैचों में होगा। इसी के साथ निर्णायक दौर के मुकाबलों (नाॅक आउट दौर) में ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल होगा। इसके अलावा स्टम्प पर रियल टाइम स्निकोमीटर व सीईडी का इस्तेमाल होगा।
ईएसपीएन व स्टार स्र्पोर्टस जैसे चैनल अपनी मातृ कंपनियों क्रमशः वाल्ट डिज्नी व न्यूज कापोरेशन के नेटवर्क व संसाधनों का इस्तेमाल कर दुनिया भर में इसका प्रसारण करेंगे। इसमें उनकी मातृ कंपनियों या चैनलों के दर्शक भी शामिल हैं। केवल एशिया में ही वे 32 करोड़ दर्शकों तक पहुंच रखते हैं। ईएसपीएन के 24 देशों में 17 नेटवर्क हैं। इन प्रसारण चैनलों की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे भारत में सुप्रीम कोर्ट तक के फैसलों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
भारत में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार विश्वकप में भारतीय टीम वाले (भारत केन्द्रित) मुकाबलों को राष्ट्रीय चैनल डीडी नेशनल पर दिखाना अनिवार्य बना दिया गया। इस फैसले को स्टार टीवी द्वारा चुनौती दी गयी क्योंकि इससे उसे अपने मुनाफों पर चोट लगती दिखाई दी। स्टार टीवी की ओर से पी.चिदंबरम जैसे बड़े कार्पोरेट वकील द्वारा इस फैसले को पुनर्विचार के लिए प्रस्तुत किया गया। अंततः अटानीजनरल मुकुल रोहतगी द्वारा एक समझौता कराया गया। इस समझौते के अनुसार डीडी नेशनल को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार भारत केन्द्रित सभी मैचों को दिखाने का अधिकार यथावत रखा गया लेकिन प्रसार भारती को इसके लिए विज्ञापनों से होने वाली कमाई का 75 प्रतिशत हिस्सा स्टार टीवी को देना तय हुआ। इसी के साथ समझौते में यह प्रावधान भी शामिल किया गया कि प्रसार भारती मैच के प्रसारण को किसी अन्य निजी केबल आॅपरेटर से साझा नहीं कर सकेगी। इसके बावजूद प्रसार भारती को इस विश्व कप से करोड़ों रुपये की आमदनी होना तय है।
टीवी चैनलों पर क्रिकेट मैचों के प्रसारण से कितना पैसा कमाया जायेगा। इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है। स्टार स्पोर्ट्स ने 2011 के विश्व कप में 10 सेकिण्ड के विज्ञापन हेतु स्पोट 2.5 लाख से तीन लाख रुपये में बेचा। अब यह कीमत 4.5 से 5 लाख रुपये तक पहुंच गयी है। इस बार भारत और पाकिस्तान के बीच जो मैच खेला गया उसमें विज्ञापन हेतु 10 सेंकिड के स्पाॅट को 20 लाख रुपये में बेचा गया है।
प्रसारण चैनल अपने विज्ञापन स्पाॅट की 30 प्रतिशत इन्वेन्ट्री कुछ खास मुकाबलों के लिए खाली रखती हैं और उनमें टीमों के मुकाबले के हिसाब से बाद में मनमानी विज्ञापन दर रखती है और बेहद ऊंचे मुनाफे बटोरती हैं। प्रसारण चैनलों के लिए विज्ञापनों से होने वाली कमाई के लिए फाईनल, सेमीफाइनल मुकाबले महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें दर्शकों की संख्या चार गुनी बढ़ जाती है लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा फायदा भारत-पाकिस्तान के मुकाबले में होता है जिसमें सामान्य मैचों की तुलना में दर्शकों की संख्या 6 गुना तक बढ़ जाती है।
2007 का विश्व कप क्रिकेट प्रायोजकों व प्रसारण चैनलों के लिए दुःस्वप्न साबित हुआ। 2007 के विश्वकप में भारत के प्रथम चक्र के मुकाबले (नाॅक आउट दौर) में ही बांग्लादेश के हाथों पिटकर बाहर होने के कारण प्रसारणकर्ताओं व प्रायोजकों को जबर्दस्त नुकसान उठाना पड़ा। क्योंकि विश्वकप से होने वाली आमदनी का 70 से 80 प्रतिशत सिर्फ भारत में पैदा होता है। इस घटना से सबक निकालते हुए आयोजकों ने विश्वकप मुकाबले का प्रारूप इस तरह से निर्मित किया कि भारत जैसी बड़ी और कमाऊं टीमें प्रथम चक्र में बाहर न होने पायें व अधिकाधिक समय तक टिकें। इसी के मद्देनजर विश्वकप में भागीदार टीमों को दो पूलों में इस तरह बांटा गया कि हर पूल में तीन नई व कमजोर टीमें रखी गयीं ताकि महत्वपूर्ण टीमें क्वाटर फाइनल तक का सफर आसानी से तय कर लें। और साथ ही कमाऊं टीमें कम से कम 6 मैच खेल सकें। यह महज संयोग नहीं है कि इस बार दक्षिण एशिया से 4 टीमें सेमीफाइनल में पहुंची। आखिर दक्षिण एशिया में क्रिकेट के दर्शकों की संख्या सर्वाधिक है। इन दर्शकों को केवल इसी शर्त पर टीवी स्क्रीन से जोड़े रखा जा सकता था कि इस इलाके की टीमें मुकाबले में लंबा सफर तय करें। सर्वाधिक मुनाफा देने वाली टीमें सेमीफाइनल में पहुंचे। सेमीफाइनल में भारत-पाकिस्तान का मुकाबला हो तो आयोजकों-प्रायोजकों व प्रसारणकर्ताओं के लिए लाटरी लगने जैसी बात होती। यह अकारण नहीं कि इस बार क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश द्वारा मैच अंपायरों पर भारत को जिताने के प्रयास करने का आरोप लगे।
आयोजकों, प्रायोजकों, प्रसारणकर्ताओं और क्रिकेट बोर्ड की भारी कमाई के साथ-साथ खिलाड़ियों की आय भी बेशुमार है। मैचों से होने वाली आय के अतिरिक्त विज्ञापनों और ब्राड एम्बेस्डर बनकर खिलाड़ी करोड़ों में खेलतहैं। तमाम खिलाड़ियों की आय तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निदेशकों व मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से भी अधिक होती है। एक अनुमान के अनुसार सचिन तेंदुलकर की वार्षिक आय एक अरब और महेन्द्र सिंह धोनी की 300 से 440 करोड़ रुपये सालाना तक है। इसके साथ-साथ एक बड़ा बाजार क्रिकेट के साजो-सामान का बन जाता है।
जब सब क्रिकेट से भारी मुनाफा कमा रहे हों तो सट्टेबाज कैसे पीछे रह सकते हैं। क्रिकेट से जुड़े सट्टों का प्रचलन महानगरों से लेकर छोटे कस्बों तक अपने पैसे पसार चुका है। बडे़ सट्टेबाज मुनाफे के लिए मैच को ही फिक्स कर दे रहे हैं। बीते दिनों दुनिया भर में इसके कई उदाहरण दिखाई दिये। पैसे के लिए खेलने वाले खिलाड़ी अपनी बाल, बल्ला, फिल्डींग बड़ी आसानी से सट्टेबाजों को बेच देते हैं।
कुल मिलाकर क्रिकेट के दर्शकों के लिए यह एक मनोरंजक खेल हो लेकिन इसके आयोजकों, प्रायोजकों व खिलाड़ियों के लिए यह महज मुनाफे व कमाई का धंधा है। पेप्सी, कोेक जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए अपने साम्राज्य का विस्तार का पर्व है। बाजार के लिए अपनी चमक बिखेरने का महोत्सव है। बाजार व मुनाफे के इस खेल में खेल भावना देशभक्ति या राष्ट्रीय गौरव की तलाश वास्तव में बाजार के खिलाड़ियों के हाथों में खेलना ही है। उनकी धुन पर नाचना है।
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