समाजवाद समाज की तलछट माने जाने वालों को भी ले चला ‘जीवन की ओर‘
अंतोन मकारेंको का ‘‘जीवन की ओर’’ उपन्यास पढ़कर अच्छा लगा। बहुत कुछ सीखने को मिला। उपन्यास हर व्यक्ति को महत्वपूर्ण मानना, कठिन परिस्थितियों में दृढ़तापूर्वक डटे रहना, कठिन परिस्थितियों में भी संयम रखना और एक अच्छा इंसान बनना सिखाता है। उपन्यास बहुत जीवंत है और सच्ची घटनाओं पर आधारित है।
1917 में रूस में समाजवादी क्रान्ति हुई। क्रान्ति के बाद रूस में तमाम चीजों का पुनर्निर्माण किया गया। उसी दौरान शिक्षा के लिए भी नए-नए प्रयोग किए गए। जिसमें अंतोन मकारेंको का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ‘‘जीवन की ओर’’ उपन्यास उसी पर आधारित है। यह दो खण्डो में है। उपन्यास के पहले खण्ड में अंतोन मकारेंको द्वारा बेघर, आवारा, सामाजिक रूप से खतरनाक (वो युद्ध के समय बेघर हो गए बच्चे हैं जो खुद को बचाये रखने के खातिर लूट-पाट करते थे) लड़के-लड़कियों को शिक्षा देने का काम किया गया। उनको बेहतर सामाजिक इंसान बनाया गया।
1920 में मैक्सिम गोर्की कालोनी बनाई गई। जिसमें आवारा, बेघर, अपराधी बच्चे (जो उस समय तक जेलों में बंद थे) व सामाजिक रूप से खतरनाक बच्चों से पढ़ाई के साथ-साथ श्रम भी करवाया जाता था। शिक्षा को श्रम से जोड़ने का काम किया गया। जिन बच्चों की पढ़ाई में रुचि नहीं थी उनके लिए वर्कशॉप खोली गई थी। पुराने लड़के-लड़कियां कुछ सालों बाद जिम्मेदार व्यक्ति बन कर दूसरी जगह काम करने चले जाते थे तो उनकी जगह नए लड़के-लड़कियां आ जाते थे। जिनको कभी अपराध अन्वेषण विभाग इस कालोनी में भेज देते था, तो कभी मिलिशिया आवारा लड़को को सड़कों से पकड़ कर यहां भेज देती थी। इस तरह इस कालोनी में हमेशा ही चार सौ से अधिक लड़के-लड़कियां रहते थे।
उन चार सौ व्यक्तियों को चौबीस दस्तों में बांट रखा था और हर दस्ते का अपना-अपना काम होता था। कोई सब्जी उगाने का काम करता था, तो किसी का काम जानवरों को चराना था। कोई ट्रैक्टर चलाता था, तो कोई सफाई का काम करता था, तो कोई चौकीदार का काम। कोई मोची था तो कोई बढ़ई।
कालोनी के पास खेती करने के लिए जमीन व खेती करने में प्रयोग आने वाले यंत्र व जानवर (गाय, घोड़े व सुअर) थे जिनकी किसानों में अच्छी मांग थी। कालोनी की इस समस्त संपत्ति और भण्डार गृहों की व्यवस्था मजदूर दस्तों के चुने हुए संचालकों की जिम्मेदारी थी। जिनमें मुख्य संचालक अंतोन मकारेंको थे। ये सभी संचालक कालोनी के बाकि सभी सदस्यों के साथ मिलकर काम करते थे। योजना बनाते थे। निर्णय लेते थे और किसी साथी की लापरवाही करने, अनुशासन को तोड़ने पर सजा भी देते थे। ये सारे काम समूह में तय किए जाते थे और इसकी घोषणा कालोनी वासियों के सामने अंतोन मकारेंको ही करते थे।
काम करने में लापरवाही करना, किसी काम करने से मना करना, किसी साथी का अपमान करना गंभीर अपराधों में आते थे। जिसकी सजा दोषी व्यक्ति का कालोनी से निष्कासन के रूप में दी जा सकती थी।
जब कोई लड़का या लड़की कालोनी में रहने आते थे तब उनसे व्यक्तिगत जानकारी नहीं ली जाती थी। जैसे वह कौन है?, क्या अपराध किया या उसका अब तक का जीवन कैसे गुजरा?, अपराध अन्वेषण विभाग में कैसे पहुंचा? ऐसे सवाल पूछना मना था। यदि नवागंतुक खुद ही अपनी गाथा बखान करना चाहता था तो उसको अनसुना करते थे और उससे कहा जाता था कि ‘‘यहां कोई कैदखाना नहीं है। यहां सब अपने मालिक हैं। सब तुम्हारे जैसे ही है। यहां रहो, पढ़ो, सबके साथ मिलकर काम करो। मन लगता है तो रहो नहीं तो छोड़कर चले जाओ।’’ इस तरह नए आने वाले साथी को जल्द ही यह विश्वास हो जाता था कि इन सब बातों में सच्चाई है। वह आसानी से कालोनी के जीवन में घुल-मिल जाता था।
अंतोन मकारेंको नए साथियों पर भरोसा करके उनको जिम्मेदारी देते थे। ऐसी ही एक घटना का इस पुस्तक में जिक्र है कि एक लड़का बचपन में चोरी करता था जिसकी सजा वह जेल में काट रहा था। अंतोन मकारेंको उस लड़के को जेल से अपने साथ लेकर आते हैं और रास्ते में उसको कुछ पैसे देकर उससे कहते हैं कि तुम्हें कालोनी के लिए राशन खरीदना है। मुझे कुछ काम है और अंतोन मकारेंको वहां से चले जाते है। वह लड़का खुद अचरज में पड़ जाता है कि यह उसकी परीक्षा ली जा रही है या उसके साथ छल किया जा रहा है? वरना कोई ऐसा कैसे कर सकता हैं कि जेल से तुरंत बाहर निकले लड़के पर इतना विश्वास कि पैसे देकर राशन ले आओ।
कुछ देर सोचने के बाद वह लड़का गोदाम में जाता है और जो-जो सामान उससे मंगाया गया था वह लेता है और गोदाम से डबलरोटी के दो पैकट चुरा कर ज्यादा ले आता है।
अंतोन मकारेंको उन पैकट को देखकर कहते हैं कि लेन-देन में शायद कोई गलती हो गई है दो पैकट ज्यादा आ गए हैं। इनको वापस कर आओ। पैकट वापस करने पर गोदाम वाले भी लड़के को धन्यवाद करते हैं। इस घटना के बाद इस पर कोई बात नहीं हुई। इस पर कोई डांट नहीं पड़ी।
ऐसी और भी घटनाएं है जैसे घरेलू दारू बनाने वाले के खिलाफ उन लड़कों ने संघर्ष किया जिन्हें दारू पीना पसंद था। राहगीरों से लूट-पाट करने वालांे के खिलाफ विशेष रात्रि दल में वे ही छात्र थे जिन्हें लूट-पाट में भाग लेने के कारण ही कालोनी में लाया गया था। इस प्रकार की कार्यशैली सबके लिए आश्चर्य का विषय थी।
रूस में उस समय पुनर्निर्माण का कार्य चल रहा था ऐसे में समूह के महत्व पर विशेष जोर दिया जाता था। अंतोन मकारेंको ने समूह के हित को ऊपर रखना शिक्षा में शामिल किया और कालोनी के छात्रों को इस बात का एहसास कराया कि कार्य को करने में समूह का महत्वपूर्ण योगदान होता है और व्यक्ति को समूह के मातहत होना चाहिए।
इस पुस्तक में एक चीज और अच्छी लगी। कालोनी में हर तरह के व्यक्ति आते थे, रहते थे। कुछ बुद्धिमान, कुछ मंद बुद्धि। कुछ चालाक, कुछ सीधे। अंतोन मकारेंको का मानना था कि हर व्यक्ति किसी न किसी काम का जरूर होता है। अंतोन मकारेंको हर व्यक्ति के लिए काम निकालते थे।
ये सारी घटनाएं केवल किताबी बातें नहीं हैं। अंतोन मकारेंको ने इस मुश्किल काम को व्यवहार में करके दिखाया। आवारा, अपराधी बच्चों को एक सच्चा, जिम्मेदार इंसान बनाया। हां, यह करते हुए उनको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने अपना विश्वास और मेहनत करना नहीं छोड़ा। यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि उस समय रूस में मजदूर मेहनतकशों का राज समाजवादी समाज था।
- एक पाठक
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