बेरोजगारी, झूठे वादों के खिलाफ नौजवान
भाजपा राज में आसमान छूती बेरोजगारी एक ना झुठलाये जाने वाला सच बन चुकी है। मोदी के रोजगार से जुडे़ वादे अब नौजवानों में कोई उत्साह पैदा नहीं कर रहे हैं। ना ही कोई लबादा इसे ढक पा रहा है। न कोई लफ्फाजी वाला भाषण नौजवानों को भरमा पा रहा है। इसकी ठोस अभिव्यक्ति, पिछले दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों में नौजवानों के बेरोजगारी को लेकर हुए तीखे प्रदर्शन हैं। हालांकि यह तीखे प्रदर्शन कुछ ही समय में दमन, षड्यंत्रों से दबा दिये गये। लेकिन अपनी बारी में इन प्रदर्शनों ने भाजपा सरकार के होश उड़ा दिये।
बेरोजगारी को लेकर मोदी सरकार ने सीधे स्पष्ट आंकड़ों के प्रसारित होने पर रोक लगाई हुई है। लेकिन फिर भी अलग-अलग ढंग से बेरोजगारी का सवाल उठ ही जाता है। अभी हाल में ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा बताया गया कि जनवरी माह में पिछले 20 महीनों में सबसे कम नये सदस्य बने हैं। दिसम्बर में नये सदस्य 8,40,374 बने जिसमें 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई और जनवरी माह में 7,77,232 सदस्य बने। ईपीएफ में सदस्यों की यह गिरावट संगठित क्षेत्र में नौकरियों में आ रही कमी को दिखाता है।
विश्वगुरू के हो-हल्ले के बरक्स स्कूल, कालेजों में गुरू के खाली पदों की क्या स्थिति है। संसद में सरकार ने बताया कि केन्द्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और केन्द्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षक और गैर शिक्षण कर्मचारियों के 58,000 पद खाली पड़े हुए हैं। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 6,180 व गैर शिक्षण कर्मचारियों के 15,798 पद खाली हैं। इसमें भी आरक्षित वर्ग (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, विकलांग) के शिक्षकों के 4,000 पद खाली पडे़ हैं। सरकार ने कहा कि उन्हें योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं।
इसी तरह भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों (आईआईटी) में शिक्षकों के 4,425 और गैर शिक्षण कर्मचारियों के 5,052 पद खाली हैं। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और भारतीय अभियांत्रिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में शिक्षकों के 2,089 और गैर शिक्षण कर्मचारियों के 3,773 पद खाली हैं।
भाजपा शासन में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए कई चमत्कार किये गये। ये चमत्कार इतने चकित करने वाले थे कि लोगों का सर ही चकरा जा रहा है। पहले तो पंचर जोड़ों, पकोड़ा बेचो के नुस्खे से बेरोजगारी समाप्त करने के प्रयास किये। कुछेक मुद्रा लोन बांटकर घोषणाएं की गई की बहुत सारी बेरोजगार आबादी को रोजगार दे दिया गया है। जब इससे भी बात नहीं बनी तो कौशल विकास के नाम पर कहा गया कि नौजवान रोजगार के लायक ही नहीं हैं। ऐसी ही नयी सर चकराने वाली घटना मध्यप्रदेश में घटी। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार ने बेरोजगारी खत्म करने के लिए पिछले तीन सालों में 17 करोड़ रुपये खर्च किये और इन तीन सालों में 21 लोगों को रोजगार दिया गया। यानी 80 लाख रुपये एक नौजवान को रोजगार देने में खर्च किया गया। कहा जा रहा है कि 17 करोड़ से 52 रोजगार कार्यालय खोले गये। तीन वर्षों में 21 लोगों को रोजगार की वस्तुस्थिति के बरक्स मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अगस्त 2023 तक 1 लाख रोजगार देने का वादा किया था।
भाजपा के झोले में सिर्फ चमत्कारी योजनाएं ही नहीं है। जब झूठ-फरेब-लफ्फाजी से काम नहीं चल रहा है तब बेरोजगारों का बर्बर दमन कर उन्हें शांत किया जा रहा है। पिछले समय में उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर के नौजवानों के साथ ऐसा ही हुआ। उत्तराखंड में नियुक्तियों को लेकर भ्रष्टाचार, पेपर लीक के विरोध में, एक पारदर्शी चयन प्रक्रिया की मांग को लेकर प्रदर्शन किया गया। लेकिन उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने प्रदेश की राजधानी में बेरोजगार नौजवानों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया। ऐसा ही जम्मू-कश्मीर के नौजवानों के साथ किया गया। यहां बेरोजगार नौजवान सेवा चयन बोर्ड में पारदर्शिता की मांग कर रहे थे। एक ब्लैकलिस्टेड कम्पनी एप्टेक को कम्प्यूटर परीक्षा का ठेका देने का विरोध कर रहे थे। नौजवानों की समस्या सुनने उन्हें आश्वस्त करने के स्थान पर उन पर लाठीचार्ज किया गया और मुकदमे लगाये गये।
यह मात्र दो राज्यों की बात नहीं है। देश के कोने-कोने से समय-समय पर नौकरी परीक्षाओं में पेपर लीक, भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन, लेट-लतीफी, परीक्षा-परिणाम रद्द जैसी घटनाएं होती रहती हैं। वर्षों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे नौजवानों के सपनों की हत्या हो जाती है। लेकिन बेशर्म सरकार पीड़ितों के घावों पर मरहम लगाने के स्थान पर उन्हें लाठी, मुकदमों के नये घाव दे देती है।
रोजगार पर भाजपा सरकार की लफ्फाजी, चमत्कारी योजनाएं जारी है। बेरोजगारों का बर्बर दमन भी जारी है। लेकिन तस्वीर के दूसरे पहलू में बेरोजगार नौजवानों का सड़कों पर उतरकर तीखा संघर्ष भी जारी है। हाल फिलहाल भाजपा सरकार इन्हें साम-दाम-दंड-भेद से थामने में सफल हो रही है। लेकिन बेरोजगार नौजवानों के संघर्ष दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। नौजवान क्रांतिकारी समझदारी और संघर्षों की व्यापकता से भाजपा सरकार के लिए चुनौती बन सकता है।
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