मंगलवार, 8 नवंबर 2022

जांच रिपोर्ट

लखीमपुर में किसानों को गाड़ी से कुचल कर नृशंस हत्या


क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन एवं क्रांतिकारी किसान मंच का एक संयुक्त प्रतिनिधि मंडल लखीमपुर के तिकुनियां में तथ्यान्वेषण के लिए गया। कई लोगों से बात करने व घटनास्थल का दौरा करने के बाद टीम द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है।


ज्ञात हो, केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा (स्थानीय दबंग भाजपा नेता) के पिता की बरसी पर इनके गांव में हर साल 2 अक्टूबर को दंगल का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष इसे 3 अक्टूबर को किया जाना था। इसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्या को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। दंगल स्थल से 4 किलोमीटर दूर तिकुनिया में महाराजा अग्रसेन कालेज के खेल मैदान में हैलीपैड बनाया गया था। यही पर किसानों का विरोध प्रदर्शन व काले झंडे दिखाने का कार्यक्रम था। विरोध प्रदर्शन में लगभग 10 हजार किसान शामिल थे। प्रदर्शनकारी सभी आस-पास के लोग ही थे।

3 अक्टूबर की घटना से कुछ दिन पूर्व 25 सितम्बर को केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने पलिया में एक सभा के दौरान किसानों को खुले आम धमकी दी। उन्होंने कहा कि ‘‘वे सुधर जायें नहीं तो दो मिनट में सुधार दूंगा’’। मंत्री जी की धमकी सुन किसानों ने मंत्री का विरोध उपमुख्यमंत्री के सामने करने का निर्णय लिया। और 3 अक्टूबर को प्रदर्शन कर उनका रास्ता रोका।

3 अक्टूबर को यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था। पुलिस प्रशासन किसान नेताओं पर लगातार दबाव बना रहा था कि विरोध प्रदर्शन खत्म किया जाये और किसानों को वहां से हटाया जाये। लेकिन किसान अपनी मांग पर अड़े थे। अंततः किसान आंदोलन के दबाव में उपमुख्यमत्री को दंगल में जाने का अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। यहां तक की मंत्री तक को अपने घर जाने का रूट बदलना पड़ा।

किसानों को जब यह जानकारी मिली तो उन्होंने 3 बजे अपना कार्यक्रम समाप्त करने की घोषणा की और सभी को अपने-अपने घर जाने की अपील की। इसके बाद किसान शांतिपूर्ण तरीके से घरोें को लौटने लगे।

दूसरी तरफ मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू जो 2022 के विधान सभा चुनाव में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने की तैयारी में था। वह उपमुख्यमंत्री का कार्यक्रम रद्द होने के कारण बेहद क्षुब्ध था। वह गुस्से में  थार, फॉचर्यूनर, स्कॉर्पियो में अपने गुंडों के साथ आया और किसानों पर हमला कर दिया। इसके मुख्य निशाने में किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने यह भी बताया कि हमले के समय गाड़ियों की रफ्तार 80-90 कि.मी./घंटा रही होगी। गाड़ियों ने पीछे की भीड़ को कुचलने का प्रयास नहीं किया इसका कारण यह बताया गया कि अगर शुरू में ही भीड़ में गाड़ी चढ़ाई जाती तो गाड़ी भीड़ के बीच में फंस जाती और गुंडे पकडे़ जाते इसलिए पीछे की भीड़ को पार करके आगे के लोगों को निशाना बनाया गया। 

गाड़ियों ने जब किसानों को कुचलना शुरू किया तो वहां भगदड़ मच गयी और आगे एक बस आ गयी जिस कारण एक गाड़ी अनियंत्रित होकर नीचे जा गिरी तथा दूसरी किनारे से खाई में टिक गयी। एक गाड़ी भागने में कामयाब रही। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक गाड़ी से उतर आशीष मिश्रा जान बचाकर भागा जिसे एक नौजवान से पकड़ लिया लेकिन आशीष मिश्रा ने उस नौजवान को गोली मार दी और सीधी फायरिंग करते हुए भाग गया। इस दौरान पुलिस ने भी हवाई फायरिंग की। पुलिस आशीष मिश्रा के पीछे भाग रही थी लेकिन उसे पकड़ने के लिए नहीं बल्कि उसे गुस्साए किसानों से बचाने के लिए। अंततः वह फायर करते हुए गन्ने के खेतों में भाग गया।

एक स्थानीय प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि जैसे ही गाड़ियां नीचे गिरी वे जलने लगी और उनमें से कुछ फटने की आवाजें भी आ रही थी। इससे अंदाज लगाया जा रहा है कि गाड़ियों में अवश्य ही कुछ विस्फोटक सामग्री रही होगी।

गाड़ियों द्वारा किसानों को कुचनने के बाद दो किसान घटना स्थ्ल पर ही शहीद हो गये तथा दो किसान अस्पताल ले जाने के दौरान शहीद हुए। इस हमले में चोट लगने से एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हुई है। किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क को काफी गंभीर चोटें आयीं जिन्हें लखीमपुर से रेफर कर दिया गया। वर्तमान में उनका इलाज वेदांता अस्पताल में चल रहा है। इस हमले में कई किसान और नौजवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

टीम जब घटना स्थल पर पहुंची तो उसने देखा कि यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है और लोग बातें करने में डर व हिचक रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद वे भी किसानों के आंदोलन को जायज व किसानों की मांगों का समर्थन कर रहे थे। कुछ ही लोगों ने टीम से खुल कर बात की। 

विचित्र सिंह जिनकी उम्र लगभग 70 वर्ष है, ने बताया कि लोग शांतिपूर्वक वापस जा रहे थे। उस समय मंत्री के बेटे ने जबरदस्ती किसानों पर गाड़ी चढ़ाई। मोनू ने भागते वक्त एक के सिर पर भी गोली मारी। उन्हांेने कहा कि यहां से किसान किसान आंदोलन में दिल्ली जाते रहते थे, इस कारण भी मंत्री हमसे चिढ़ा हुआ था। उन्हांेने बेहद तल्ख लहजे में कहा कि मोनू खुद विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहा है और वही किसानों को कुचल भी रहा है। केन्द्र व प्रदेश की सरकारें जन विरोधी हैं। ऐसे तो मोदी पूरा देश बेच देगा तो क्या जनता कोई विरोध-प्रदर्शन भी नहीं करेगी।

एक अन्य वृद्ध सरदार जी ने कहा, तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के कारण सरकार ने किसानों पर हमला जानबूझ कर करवाया है। सरकार किसानों को बर्बाद कर देना चाहती है लेकिन जब लोग विरोध करते हैं तो उन्हें मारा जाता है। बेहद भावुक होकर उन्होंने कहा कि उन्होंने इस साल धान हाथ जोड़कर व्यापारी को 900 रुपये कुन्टल में बेचा है। किसान यहां जरा भी सुरक्षित नहीं हैं।

टीम शहीद हुए लवप्रीत के घर पहुंची जहां उन्हें पता चला कि यह एक गरीब किसान परिवार है। लवप्रीत अपने परिवार में इकलौता बेटा था। यह अपने पीछे बूढ़े मां-बाप और दो बहनों को छोड़ गया है। लवप्रीत के घरवालों ने बताया कि लवप्रीत किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क के साथ में चल रहा था। मोनू उन्हें ही मुख्य तौर पर निशाना बनाना चाहता था। किसान नेता विर्क पर हुए हमले के दौरान ही लवप्रीत भी बुरी तरह घायल हुआ जिस कारण ही उनकी मौत बाद में हो गयी।

यहीं पर लोगों ने बताया कि गाड़ी से हमला करने के बाद जब मोनू भाग रहा था तो उसे एक नौजवान ने पकड़ लिया था। तब मोनू ने उसको गोली मारी थी। लेकिन लोग चकित थे कि पोस्टमार्टम में गोली का जिक्र नहीं आया। यहां लोग स्वाभाविक तौर पर पुलिस की जांच पर सवाल उठा रहे थे।

यहीं पर एक प्रत्यक्षदर्शी किसान ने बताया कि मोनू की गाड़ी तेज रफ्तार से आयी और एक वृद्ध व्यक्ति को सीधी टक्टर मारी। वह व्यक्ति पहले गाड़ी के बोनट से टकराया और फिर जमीन पर गिर पड़ा। उस व्यक्ति की वहीं पर मौत हो गयी।

लवप्रीत के परिवार ने बेहद भावुक व आक्रोशित होकर कहा कि उन्हें 45 लाख का चैक मिल गया है लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं हैं। ये चैक उनके बेटे की कमी को पूरा नहीं कर सकता। उन्हें न्याय चाहिए। उन्हें मोनू की गिरफ्तारी और मंत्री का इस्तीफा चाहिए।

एक मुस्लिम व्यक्ति जिनका घर घटना स्थल के बेहद करीब था ने बताया कि वे उस समय घर पर ही थे जैसे ही हो-हल्ला हुआ तो वे बाहर आये तो देखा कि पुलिस वाले भाग रहे हैं और गाड़ियां जल रही हैं।

घटना में एक पत्रकार की भी मृत्यु हुई। जिनका नाम रमन कश्यप था और वे साधना टीवी के लिए ग्राउंड रिपोटिंग कर रहे थे। इनके परिजनों ने बताया कि वह घायल या मृत अवस्था में लम्बे समय तक वहीं पड़े रहे। इन्हें पुलिस द्वारा अस्पताल नहीं पहुंचाया गया। इन्हें सीधे कई घंटे बाद मोर्चरी में ही ले जाया गया। और इनकी मृत्यु की सूचना भी परिजनों को अगली सुबह दी गयी। इनकी मृत्यु के बाद परिवार में पत्नी, दो बच्चे व मां-बाप हैं। पूरा परिवार ही बेहद दुःख में है। परिवार के लोगों ने बताया कि उनका पूरा परिवार भाजपा से जुड़ा रहा हैै। लेकिन पार्टी का कोई स्थानीय व बाहरी भाजपा नेता उनसे अभी तक मिलने नहीं आया।

क्षेत्र में किसानों व स्थानीय लोगों से बात करते हुए पता चला कि लोग मीडिया में बतायी जा रही रिपोर्ट और भाजपा द्वारा किये जा रहे प्रचार से काफी आक्रोशित हैं। लोगों का कहना है कि मीडिया घटना को गलत ढंग से पेश कर रहा है। वह इसे किसानों पर हुये हमले के बजाए किसानों के द्वारा किये उपद्रव के रुप में बता रहा है। जो पीड़ित हैं उन्हें ही दोषी बताया जा रहा है।

क्षेत्र में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ व्यापक माहौल है। इन कानूनों के विरोध में ही किसानों का कार्यक्रम था। वे कार्यक्रम को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर घर वापस लौट रहे थे। किसानों की सफलता और अपनी हार देखकर स्थानीय प्रभावशाली नेता को यह बात जरा भी रास नहीं आ रही थी। वह अपनी गुण्डा ताकत व भाजपा की सरपरस्ती के नशे में चूर था। एक सोची समझी साजिश के तहत आशीष मिश्रा उर्फ मोनू ने घर वापस जा रहे किसानों पर गाड़ी से हमला किया। इस हमले में 4 किसान शहीद हुए व एक पत्रकार सहित तीन अन्य की भी मृत्यु हुई। कई प्रदर्शनकारी किसान घायल हुए। इस अत्यन्त दुःखद घटना के लिए एकतरफा तौर पर आशीष मिश्रा ही जिम्मेदार है।

घटना क्षेत्र में मौजूद भारी पुलिस बल, पीड़ित परिवारों की निगरानी करते पुलिस बल से लोगों को भय ही अधिक लग रहा है। क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं बंद करना, पीड़ित परिवारों से नेताओं, सामाजिक कार्यकताओं यहां तक कि किसान संगठनों को भी मिलने से रोकने के पुलिस के प्रयास पीड़ित परिवारों को ताकत देने की जगह कमजोर करने के प्रयास ही अधिक दिखते हैं। एक तरह से कहें तो जो भाजपा की चाहत थी कि यह मामला ज्यादा ना फैल पाये या दब कर ही रह जाये पुलिस की कार्यवाहियां इसी की मद्द करती हुई प्रतीत होती हैं।

पीड़ित परिवार, आंदोलनकारी किसान मात्र चैक दे देने से ही संतुष्ट नहीं हैं। वे न्याय की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि आशीष मिश्रा को गिरफ्तार किया जाए और केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अपने पद से इस्तीफा दें। हालांकि किसानों के दबाव में आशीष मिश्रा को तो गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन मंत्री के इस्तीफे की मांग अभी किसानों की बनती है। मंत्री के इस्तीफे की मांग किसान अनायास ही नहीं कर रहे हैं। इसके पीछे अलग-अलग समय में मंत्री द्वारा जाहिर हुए किसान विरोधी, जन विरोधी घृणित बयान हैं। एक बयान जिसमें मंत्री जी खुले आम किसानों को धमकी दे रहे हैं कि किसान सुधर जायें नहीं तो वे उन्हें पलिया तो क्या लखीमपुर में भी नहीं रहने देंगंे। 

किसानों पर हुए इस नृशंस हमले के विरोध में लखीमपुर ही नहीं देश के इंसाफपसंद लोग साथ खड़े दिखाई दिये हैं। इस नृशंस हमले के बाद देश भर में कई प्रदर्शन हुए हैं। जिस कारण सत्ता के नशे में चूर भाजपा, जिसने जन की आवाज के लिए अपने कान बंद कर रखे हैं, को मजबूर होकर किसानों की लगभग सभी मांगों को तुरंत मानने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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