रविवार, 26 जनवरी 2020

हमारा कहना है
आज की हिम्मती लड़कियां

भारत में लड़कियों को कमजोर कहा व समझा जाता है। वैसे तो भारत की लड़कियां इस बात को हमेशा झुठलाती रहीं। बार-बार अपने प्रयासों से इसे बेतुका साबित करती रही हैं। पर हम हाल ही में कुछ छात्राओं की संघर्ष की दास्तान को देखें तो वाकई में ‘लड़कियां कमजोर हैं’ की बात बेहद बेतुका वाक्य लगता है।


सबसे पहले जामिया की उन पांच लड़कियों की तस्वीर, वीडियो देखें, जिसमें वो पुलिस को पीछे हटने को मजबूर कर देती हैं। ये पांच लड़कियां जामिया के संघर्षरत छात्र-छात्राओं में से हैं। जामिया के छात्र-छात्रायें जब सरकार द्वारा लागू सी.ए.ए. कानून का विरोध कर रहे थे, तब छात्र-छात्राओं के इस विरोध को दिल्ली पुलिस द्वारा बर्बरता से कुचला जा रहा था। कई छात्र-छात्रायें इस दमन में घायल हुए। दिल्ली पुलिस जब एक छात्र को बेरहमी से पीट रही थी तभी ये पांच छात्रायें ढाल बनकर उस छात्र को बचाती हैं और ‘पुलिस गो बैक’ के नारे लगाकर, अपने जुझारू तेवर दिखाकर उन पुलिस वालों को पीछे हटने को मजबूर कर देती हैं। ये छात्रायें जिस निडरता, साहस से दमनकारी पुलिस का सामना करती हैं, यह वाकई हिम्मत का काम है। इन छात्राओं की हिम्मत व साहस जामिया के संघर्षरत छात्र-छात्राओं के संघर्ष का प्रतीक बन कर सामने आया।

कुछ समय पूर्व ही हिदायतुल्ला लॉ वि.वि. की छात्राओं ने छात्राओं के साथ असमान व्यवहार को लेकर लम्बा संघर्ष चलाया। इन्हीं के संघर्ष का परिणाम था कि वि.वि. के भ्रष्ट कुलपति को इस्तीफा देना पड़ा। छात्राओं ने संघर्ष के दम पर वि.वि.में लड़कियों के साथ हो रहे भेदभाव, नैतिक (मोरल) पुलिसिंग को खत्म करवाया।

2017-18 में लाल-नीले-सफेद रंग में रंगे नकाब के पीछे से बोलती लड़की हमें याद है। जो नकाब के पीछे से भाजपा विधायक कुलदीप सैंगर पर बलात्कार का आरोप लगा रही थी। कुलदीप सैंगर जो अपने बाहुबल के दम पर नेता बना और पुलिस-कानून को अपनी जेब में रखकर घूमता था। जिसका भाई एक पुलिस वाले के पैर पर गोली मारता है और पुलिस ही उससे माफी मांगती है। ऐसे बाहुबली के खिलाफ इस लड़की ने अवाज बुलंद की। न्याय पाने के लिये काफी कुछ सहा किन्तु पीछे नहीं हटी। इसके पिता को कुलदीप सैंगर के गुण्डों और पुलिस द्वारा मार डाला गया। पीड़ित लड़की की कार का एक्सीडेन्ट करवाया गया। इस लड़की की आवाज को कुचलने के लिए बाहुबली कुलदीप और शासन-प्रशासन ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। किन्तु इस सब के बावजूद वह डरी नहीं। समाज का जागरूक हिस्सा भी उसके साथ खड़ा होता चला गया। और अंततः इन लम्बे संघर्षों का परिणाम है कि आज कुलदीप सैंगर जैसा आदमी जेल में है। उसे बलात्कार सहित कई आरोपों का दोषी पाया गया।

ऐसी ही शाहजहांपुर की वे हिम्मती लड़कियां हैं जिन्होंने आसाराम, स्वामी को जेल भेजा है। स्वामी चिन्मयानंद जो कई बार भाजपा से सांसद रहे, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे। जो आडवाणी, योगी आदित्यनाथ के गुरु के खास माने जाते हैं। जिन्होंने ‘बाबरी मस्जिद’ विध्वंस में बड़ी भूमिका निभायी थी। ऐसे रसूखदार आदमी पर आरोप लगाना और फिर न्याय पाना कितना कठिन है, इसे समझा जा सकता है। ‘स्वामी जी’ के ऊपर पहले भी 2011 में बलात्कार का आरोप लग चुका है। किन्तु इस मामले को 2018 में योगी सरकार द्वारा बंद करवा दिया गया।

इस मर्तबा भी सरकार द्वारा चिन्मयानन्द को बचाने की भरपूर कोशिश की गयी। किन्तु लड़की की निडरता, अडिगता ने पुलिस-प्रशासन को मजबूर कर दिया और चिन्मयानन्द पर कार्यवाही हुई।

यौन हिंसा के खिलाफ तमाम अन्य मामलों में भी कई हिम्मती लड़कियों द्वारा जुझारू संघर्ष किया गया है। आसाराम बापू से लेकर राम रहीम को उसकी असल जगह पहुंचाया है। देश में चल रहे विभिन्न किस्म के सामाजिक आंदोलनों में छात्राओं की बेहद गौरवशाली भूमिका रही है। जे.एन.यू., दिल्ली विश्व विद्यालय, जादवपुर विश्व विद्यालय और वर्तमान में शाहीन पार्क में भी औरतें व जामिया की छात्राएं लम्बे समय से संघर्षरत हैं। इसके अतिरिक्त अन्य जगहों पर हुए संघर्षों में छात्रायें कंधे से कंधा मिलाकर जुझारू ढंग से संघर्षों में कूदी। इन संघर्षों को नयी ऊंचाई पर ले जाने का काम भी छात्राओं द्वारा किया गया। ऐसे ही तमाम संघर्षों ने स्त्री-पुरुष समानता को सच्चे अर्थों में स्थापित करने की ओर बढ़ाया है।

आज इन संघर्षों के जरिये लड़कियां पुरानी सड़ी-गली परम्पराओं को चुनौती दे रही हैं। वे अपने रास्ते में बाधा बनकर खड़े पुलिस-प्रशासन-सरकार से लेकर समाज की प्रचलित सोच से टकरा रही हैं। वे जीवन के हर क्षेत्र में ‘चुपचाप सहने’ की सीख के उलट आगे बढ़कर लड़ने की परम्परा स्थापित कर रही हैं।

‘लड़कियां कमजोर, दब्बू, भीरू होती हैं’ को हर समय की छात्रायें गलत साबित करती रही हैं और हमारे समय की लड़कियां भी यह कर रही हैं।                                            (वर्ष- 11 अंक- 2 जनवरी-मार्च, 2020)

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