पछास का दसवां सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न: रिपोर्ट
परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) का दसवां सम्मेलन 6-7 अक्टूबर 2018 को हल्द्वानी (उत्तराखंड) में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व हरियाणा के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। सम्मेलन की तैयारियों के सिलसिले में व्यापक तौर पर प्रचार करते हुए छात्रों व जनता के बीच जाकर आर्थिक सहयोग-समर्थन लिया गया। मेहनतकश जनता ने एकजुटता प्रदर्शित करते हुए अपना पूर्ण सहयोग दिया।
साथी कमलेश द्वारा 6 अक्टूबर की सुबह पछास के झण्डे का झण्डारोहण किया गया। इसके बाद देश-दुनिया में पूंजीवाद के खिलाफ संघर्ष में मारे गये क्रांतिकारियों को याद करते हुए श्रद्धांजली दी गयी। दुनिया के छात्र-नौजवानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए यूथ इंटरनेशनल गीत प्रस्तुत किया गया।
सम्मेलन में राजनीतिक रिपोर्ट पेश की गयी। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और छात्र जगत हिस्सों में बांटा गया था। रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की गयी। अंतर्राष्ट्रीय हालात पर बात रखते हुए चंदन ने कहा 2007-08 से जारी विश्व आर्थिक संकट और गहरा हुआ है। ग्रीस सहित कई देशों की सरकारों को तबाही की कगार पर ला खड़ा कर दिया है। संकट के दौर में मिली छूटों और पैकेजों ने पूंजीपतियों को और मालामाल किया है। मजदूर-मेहनतकश को कंगाली की तरफ धकेला है। अर्थव्यवस्था के इस संकट से अमेरिका समेत विभिन्न देशों में दक्षिणपंथी फासीवादी राजनीति का उभार हुआ है। इन्होंने मजदूर मेहनतकश जनता पर चैतरफा हमला बोला है।
राष्ट्रीय परिस्थितियों पर बात रखते हुए कमलेश ने कहा मोदी सरकार ने श्रम कानूनों में संशोधन कर मजदूरों के जीवन में परेशानियों को बढ़ाया है। नोटबंदी, जीएसटी ने अर्थव्यवस्था के संकट को और बढ़ाया है। मोदी सरकार द्वारा जातिवाद, क्षेत्रवाद व साम्प्रदायिकता का जहर समाज में घोला जा रहा है। जो कोई भी सरकार की नीतियों का विरोध कर रहा है। उनको ‘हिन्दू विरोधी व देशद्रोही’ करार दिया जा रहा है।
छात्रों के हालात पर बात करते हुए दीपक ने कहा देश में बेरोजगारी की समस्या लगातार भयावह हुई है। नये रोजगार पैदा होने के स्थान पर कम ही हुए हैं और जो रोजगार है भी वह ठेका, संविदा के तहत ही मिल पा रहा है। जिससे कार्यपरिस्थितियां ज्यादा मुश्किल हुई हैं। शिक्षा में तेजी से भगवाकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। कालेज-कैम्पसों में फासीवादी हमलों में तेजी आयी है। मोदी सरकार जनवाद और प्रगतिशीलता के हर चिन्ह को समाप्त करने पर आमादा है।
सांगठनिक रिपोर्ट पर व्यापक चर्चा की गयी। संगठन द्वारा बीते तीन वर्षों में किये गये कामों का मूल्यांकन किया गया। साथ ही सांगठनिक चुनौतियों पर भी चर्चा की गयी। छात्र समुदाय से गहरा जुड़ाव बनाने, उनके संघर्षों को खड़ा करने और संगठन को राजनीतिक-सांगठनिक तौर पर मजबूत करने पर जोर दिया गया। इसके उपरांत नेतृत्वकारी निकायों का चुनाव किया गया।। सर्वसम्मति से साथी कमलेश को अध्यक्ष और महेन्द्र को महासचिव चुना गया।
सम्मेलन में शहीदों को श्रद्धांजली, शिक्षा के भगवाकरण, शिक्षा के बजट में कटौती के विरोध में, पूंजीवाद द्वारा जनित आपदाओं, बुद्धिजीवियों पर हमले व महिलाओं-बच्चियों पर हो रही हिंसा के विरोध में कुल 6 प्रस्ताव पारित किये गये।
6 अक्टूबर की रात में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन कर ‘रंगा सियार’, ‘देश आगे बढ़ाओं’ व ‘दीमक’ नाटकों का मंचन किया गया। साथ ही क्रांतिकारी गीत, नृत्य नाटिका आदि कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये।
7 अक्टूबर की दोपहर में खुले सत्र का आयोजन किया गया। जिसमेें छात्रों, कई जनवादी संगठनों व मजदूर ट्रेड यूनियनों सहित जनता ने भागीदारी थी। खुले सत्र को इन्टरार्क मजदूर संगठन पंतनगर के महामंत्री सौरभ, आॅटो इम्प्लाइज यूनियन के प्रतिनिधि अनिल, ठेका मजदूर कल्याण समिति के प्रतिनिधि मनोज, ब्रिटानिया श्रमिक संघ के अध्यक्ष गणेश मेहरा, डेल्टा श्रमिक संघ से हिमांशु कुमार, काशीपुर रिचा श्रमिक संगठन के प्रतिनिधि सुरेश, दिनेशपुर से पहुंचे साथी विजय सिंह व पत्रिका ‘प्रेरणा अंशु’ से रुपेश कुमार, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की महासचिव रजनी, क्रांतिकारी लोकअधिकार संगठन के अध्यक्ष पी.पी.आर्या व इंकलाबी मजदूर केन्द्र के महासचिव खीमानंद आदि ने भी संबोधित किया व छात्रों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए संघर्ष को आगे बढ़ाने का दृढ़ संकल्प लिया। प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच, बरेली के साथियों ने गीतों की प्रस्तुती देकर पछास के सम्मेलन में अपनी एकजुटता प्रदर्शित की।
खुले सत्र में सभा के बाद हल्द्वानी शहर में जोशीले नारों के साथ, जोरदार जुलूस निकाला गया। जुलूस की साज-सज्जा बेहद आकर्षक बनायी गयी। भगत सिंह, करतार सिंह सराभा, अशफाक-बिस्मिल आदि क्रांतिकारियों के फोटो के साथ जुलूस निकाला गया। जुलूस में तमाम साथी भगत सिंह की टी-शर्ट पहनकर जुलूस का आकर्षण बढ़ा रहे थे। सुन्दर तख्ती और झंडों से जुलूस को सजाया गया था। बेरोजगारी को खत्म करने, छात्र व जनवादी संघर्ष को आगे बढ़ाने, ‘पूंजीवादी व्यवस्था का नाश हो’ ‘समाजवाद जिन्दाबाद’ आदि के नारों से शहर गुंजायमान करते हुए जुलूस सम्मेलन स्थल तक पहुंचा। अंत में साथी कमलेश ने संबोधित करते हुए दसवें सम्मेलन के सफलतापूर्वक समापन की घोषणा की।
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