गुरुवार, 26 जुलाई 2018

सच को सच और झूठ को झूठ कहने का साहस चाहिए 

भारत में महिलाओं के प्रति हिंसा के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी होती जा रही है। छोटी बच्चियों से लेकर बूढ़ी महिलाएं तक यौन हिंसा का शिकार हो रही हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार 2016 में महिलाओं के साथ अपराधों में 2.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2016 में महिलाओं के साथ बलात्कार के ही कुल 38,947 मामले दर्ज हुए। इन मामलों में 45.2 प्रतिशत मामले 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ घटित हुए। यह आंकड़े भी तब हैं, जब कई मामले कानून की चौखट तक पहुंच ही नहीं पाते हैं।  

महिला अपराधों के प्रति रुख की बात की जाए तो संघ-भाजपा की कथनी-करनी का फर्क साफ नजर आने लग जाता है। यौन हिंसा-बलात्कार का कोई भी मामला सामने आने पर भाजपा नेता अपने हिंदू-मुस्लिम राजनीति के अनुरूप आरोपियों का समर्थन और विरोध करते हैं। यूपी के उन्नाव में संघ-भाजपा अपने बलात्कार के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को तमाम तथ्य उजागर होने के बावजूद भी अंत तक बचाने का प्रयास करते रहे। 


पिछले दिनों जम्मू के कठुआ व मध्यप्रदेश के मंदसौर में 7-8 वर्ष की बच्चियों के साथ दुष्कर्म जैसी गंभीर घटनाओं ने संघ-भाजपा की सांप्रदायिक सोच को एक बार फिर उजागर किया।

17 जनवरी, 2018 को कठुआ जिले के रसाना गांव से पिछले 1 सप्ताह से गायब 8 वर्षीय आसिफा की लाश पास के ही जंगल में मिली। जांच में पाया गया कि हत्या से पहले उसके साथ कई बार सामूहिक दुष्कर्म किया गया। इस मामले में दो पुलिसकर्मियों सहित सात लोग अभियुक्त बनाए गए। दो अन्य पुलिसकर्मी सबूत नष्ट करने में आरोपित हुए। इस घटना की पूरे देश में प्रतिक्रिया हुई। जहां देश में इस घटना की निंदा की जा रही थी वहीं भाजपा के केंद्रीय नेता लंबे समय तक चुप्पी लगाए रहे। भाजपा के स्थानीय नेता व उसका सोशल मीडिया आरोपियों, जो कि हिंदू समुदाय से थे, का समर्थन कर रहे थे। 17 फरवरी को हिंदू एकता मंच द्वारा हाथों में तिरंगा लेकर आरोपियों के समर्थन में रैली निकाली गई। जिसमें जम्मू कश्मीर सरकार के दो भाजपा मंत्री भी शामिल हुए। इस मामले की जांच कर रहे अपराध शाखा की पुलिस को 9 अप्रैल को अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने से रोकने के लिए वकीलों व जनता को लामबंद किया गया।

20 अप्रैल को संघ-भाजपा समर्थक अखबार दैनिक जागरण द्वारा फैसला सुनाने के अंदाज में तथ्यों का हेर-फेर कर झूठी खबर लगाई। जिसका शीर्षक था ‘कठुआ में बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म’। मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सांसद नंदकुमार चौहान तो इस मामले में पाकिस्तान का हाथ बता आरोपियों को निर्दोष साबित करने से नहीं चूके। 

इस दौरान भाजपा का आईटी सेल सोशल मीडिया पर लगातार झूठे और भ्रामक मैसेज फैलाता रहा। सोशल मीडिया में यह घटना हिंदुओं को बदनाम करने की साजिश या आरोपी के मुस्लिम समुदाय से होने की वजह से फैली है जैसे झूठों के साथ भी फैलती रही। भाजपा नेता निर्लज्जता के साथ पुलिस जांच के खिलाफ आरोपों के पक्ष में रैलियां प्रदर्शन करते रहे। 

मध्यप्रदेश के मंदसौर में 26 जून 2018 को लापता 7 वर्षीय बच्ची 27 जून को अपने स्कूल से थोड़ी दूर झाड़ियों में लहू लुहान हालत में मिलती है। दरिंदो द्वारा बच्चों को अपनी हवस का शिकार बना बुरी तरह जख्मी कर दिया गया। जख्मी बच्ची को अस्पताल में कई सर्जरी के बाद ही बचाया जा सका। इस घटना पर व्यापक प्रतिक्रिया हुई। जांच में आरोपी दूसरे समुदाय (मुस्लिम) का होने पर संघ मंडली ने इस घटना को एक मौके के तौर पर लिया। कुछ जगह मुस्लिमों की संपत्ति को निशाना भी बनाया। मुस्लिम समाज द्वारा भी घटना के विरोध में रैली निकाली गई तथा पीड़िता से सहानुभूति और दोषियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई कर फांसी की मांग करते हुए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। 

इस मामले में सांप्रदायिक उभार पैदा करने के लिए भाजपा नेताओं द्वारा इस घटना की निंदा के साथ ही मामले में चुप्पी की बात कह बुद्धिजीवियों व सेलेब्रिटीज को ललकारा। कठुआ मामले में बलात्कार के आरोपियों का समर्थन करने वाले, अपनी पार्टी के आरोपी विधायक के समर्थन में रैली निकलवाने वाले, लगातार बढ़ रही महिला हिंसा-बलात्कार की अधिकतर घटनाओं पर चुप्पी साध जाने वाले लोग मंदसौर की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की मंशा से औरों की चुप्पी को निशाना बनाकर सवाल उठाने लगे। 

भाजपा आईटी सेल तो अपने चरित्र के अनुरूप ही बढ़-चढ़कर कुत्सा प्रचार करने लगा। सोशल मीडिया में मुस्लिमों के प्रति नफरत बढ़ाने, समाज के संवेदनशील तबकों की ‘मोमबत्ती गैंग’ कहकर मजाक उड़ाने से लेकर झूठी (फोटोशॉप) फोटो, लेख, मैसेज वायरल होने लगे। मुस्लिमों द्वारा घटना के विरोध में व दोषियों के लिए सजा की मांग करते हुए जुलूस की फोटो को काट-छांट कर व नारे बदलकर (फोटोशाप) प्रचारित किया गया कि आरोपियों के समर्थन में व उनको रिहा कराने के लिए मुस्लिम जुलूस निकाल रहे हैं। और कि कुरान में दूसरे धर्म की लड़कियों से बलात्कार जायज है इत्यादि। 

बच्चियों से बलात्कार की दो घटनाओं में भाजपा नेताओं का अलग-अलग व्यवहार यूं ही नहीं है बल्कि यह इनके चरित्र के अनुरूप है। संघ-भाजपा समाज में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर अपनी रोटियां सेकना चाहते हैं। किसी मामले में न्याय या तर्क के बिंदु से प्रस्थान करने के बजाय यह धर्म-जाति के बिंदु से प्रस्थान करते हैं। इनका यह प्रस्थान बिंदु ही इन्हें मंदसौर में बलात्कार के आरोपों के विरोध में तो कठुआ (जम्मू), उन्नाव में आरोपियों के समर्थन में ले जाकर खड़ा कर देता है।

संघ-भाजपा मंडली के इस प्रस्थान बिंदु के बरक्स सभी मुक्तिकामी छात्र-नौजवान व इंसाफ पसंद नागरिकों को कार्यभार बनता है कि वह सच, न्याय एवं मानवता के बिंदु से प्रस्थान करें। इनके भ्रामक व झूठे प्रचार का शिकार बनने के बजाय हर घटना की तह तक जाकर सत्य को सामने लाएं। इनकी झूठी व प्रतिक्रियावादी राजनीति के बोल-बाले के बीच सच को सच झूठ को झूठ कहने का साहस करें। 
           

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