गुरुवार, 1 मार्च 2018

शिक्षा का भगवाकरण

जब से केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार सत्ता में आयी है। स्कूलों कालेजों के पाठ्यक्रमों में व्यापक बदलाव किये जा रहे हैं। वह प्रगतिशील व धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के बजाय कूपमण्डूक एवं साम्प्रदायिक शिक्षा परोसने का प्रयास कर रही है। इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने की भी कोशिश की जा रही है। इन सबकी शुरुआत भाजपा शासित राज्यों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र से होते हुये यू.पी. तक आ पहंुची है।
राजस्थान के स्कूलों में आर.एस.एस. की विचारधारा को थोपने का काम शुरू हो गया है। वसुन्धरा सरकार ने शिक्षा के भगवाकरण की राह में अपना पहला कदम बढ़ा दिया है। अब स्कूली पाठ्यक्रम में राजस्थान के सभी सरकारी स्कूलों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आर.एस.एस. के संस्थापक केशव बलराम हेडगेवार की बायोग्राफी पढ़ाई जायेगी। राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि प्रदेश के 500 सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों को ये बायोग्राफी पढ़ाई जायेगी।
30 जून को जारी सर्कुलर के जरिये गुजरात सरकार ने राज्य के 42,000 सरकारी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वह पूरक साहित्य के तौर पर दीनानाथ बत्रा की नौ किताबों के सेट को शामिल करें। इन्हें पढ़ना सब बच्चों को अनिवार्य होगा। दीनानाथ बत्रा आर.एस.एस. से जुड़ी संस्था विद्या भारती का मुखिया है। जाहिर है कि इसे पढ़ने वाले बच्चे अज्ञानी व अवैज्ञानिक ही बनेंगे।
आर.एस.एस. की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा केन्द्र एवं राज्य सरकारों से आग्रह करती है कि इस दिशा में कदम बढ़ायें। 11-13 मार्च को सम्पन्न आर.एस.एस. की प्रतिनिधि सभा की सालाना बैठक राजस्थान के नगौर में सम्पन्न हुयी जिसमें शिक्षा पर अलग से प्रस्ताव पारित किया गया। इसी आधार पर राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी एक खांटी स्वयं सेवक की भांति इस काम में जुट गये। इनकी संघ के शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुये सभी संगठनों के साथ विस्तृत चर्चा हुयी। इस बैठक में विद्या भारती, शिक्षण मंडल, शिक्षा बचाओ, शिक्षक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधियों के साथ तीन बिन्दुओं पर फोकस किया गया। पहला राजस्थान व देश के वीर-वीरांगनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करना और दूसरा पाठ्य सामग्री ऐसी हो जिससें भारतीय संस्कृति पर गर्व की अनुभूति हो। और तीसरे छात्र देशभक्त और श्रेष्ठ नागरिक बनें इसके लिए शिक्षण सत्र के मध्य में बदलाव सम्भव नहीं था इसलिये पूरक पाठ्यक्रम के जरिये महाराणा प्रताप, गोविन्द गुरू और सुभाष चन्द्र बोस के पाठ जोड़े गये। देवनानी ने पूर्ण बदलाव की दिशा में कदम उठाया और कमेटी गठित कर नये सिरे से पाठ्यक्रम लिखने की पहल की।
पाठ्यक्रम में संघ से जुड़े लोगों को शामिल करने पर विशेष जोर रहा है। जन संघ के संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी के कश्मीर आन्दोलन, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन, आर.एस.एस. के पूर्व सरसंघचालक के.एस.सुदर्शन के पर्यावरण पर कविता, वीर सावरकर, नानाजी देशमुख व मेनका गांधी के नाम शामिल किये गये हैं। इसके अलावा भाष्कराचार्य, आर्यभट्ट व पन्ना धाय को विशेष महत्व के साथ जोड़ा गया है। पाठ्यक्रम से पं.जवाहरलाल नेहरू से जुड़े अंशों को काटा गया है। देश के एकीकरण वाले पाठ में नेहरू की जगह पटेल की फोटो लग गयी है। पाठ्यक्रम में अकबर महान नहीं, मुगल शासक मात्र है। उसकी जगह महाराणा प्रताप को महान बताया गया है। यहां तक कि सावरकर को गांधी से बड़ा नेता बताया गया है। 
सभी माॅडल स्कूलों का नामकरण स्वामी विवेकानन्द के नाम पर किया गया है। पाठ्यक्रम में भगवतगीता, योग, वन्देमातरम, सूर्यनमस्कार सरस्वती पूजा एवं टाॅपर्स को पुरस्कार एकलव्य एवं मीरा के नाम पर रखे गये हैं।
राजस्थान, गुजरात के बाद महाराष्ट्र में भी इतिहास से छेड़छाड़ की जा रही है। महाराष्ट्र एजुकेशन बोर्ड ने 7 कक्षा की किताब से मुगल शासकों से जुड़े तथ्यों में फेरबदल कर दिया है। रजिया सुल्तान, मोहम्मद बिन तुगलक व शेरशाह सूरी से जुड़ी जानकारी हटा दी गयी है। ऐतिहासिक इमारतांे में कुतुबमीनार, लालकिला का भी कोई जिक्र नहीं है। इन जानकारियों को हटाकर मराठा समाज के शिवाजी से सम्बन्धित जानकारियों पर ज्यादा जोर दिया गया है।
इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भी विश्वविद्यालयों एवं कालेजों का भगवाकरण किया जा रहा है। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर में पांच दिवसीय राम कथा का आयोजन किया गया। स्कूली पाठ्यक्रम में नवीं कक्षा के सिलेबस में पंडित दीनदयाल उपाध्याय और उनके एकात्म मानववाद दर्शन पर लिखा चैप्टर पढ़ाया जायेगा। राज्य के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा है कि ‘‘पाठ्यक्रम की समीक्षा और जरूरी होने पर उसमें बदलाव पर विचार करने के लिये समिति बनायी गयी है।

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