- दीपक
पिछले दिनों एक सप्ताह के भीतर महिलाओं-बच्चियों पर हुयी वीभत्स घटनाओं ने पूरे हरियाणा को हिला कर रख दिया। पिछले माह जनवरी में 10 से 15 जनवरी के दौरान तीन अलग-अलग घटनाएं सामने आयीं जिसने खट्टर सरकार की ‘महिला सुरक्षा’ की पोल खोल कर रख दी। इनकी वीभत्सता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दो अलग-अलग घटनाओं में 11 व 15 साल की नाबालिग बच्चियों के साथ गैंगरेप किया गया था। हत्यारे यहीं नहीं रूके उन्होंने ने मरने के बाद एक बच्ची के जननांग को बुरी तरह से चोटिल किया तो दूसरी घटना में बच्ची के मरने के बाद भी उससे बलात्कार किया गया। ये सुनने में घृणित है परंतु यही आज हमारे समाज की सच्चाई है।
ये घटनाएं हरियाणा से निकल कर आ रही हैं। परंतु इसी प्रकार की घटनाएं आए दिन हमारे आस-पड़ोस में निरंतर हो रही हैं। ये आए दिन होने वाली घटनाएं दिखाती हैं कि हमारा समाज महिलाओं-बच्चियों के लिए असुरक्षित होता जा रहा है। इन घटनाओं से क्षुब्ध कई लोग इन घटनाओं में शामिल लोगों को फांसी देने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि हत्यारों-बलात्कारियों को फांसी देने से पैदा होने वाले डर से ऐसी घटनाएं रुक जाएंगी। परंतु उन्हें इस बात का जवाब देना होगा कि निरंतर कड़े कानून व सजाओं के बाद भी ऐसी घटनाएं क्यों बढ़ती जा रही है? जवाब साफ है, मामला केवल सजा से हल नहीं होने वाला बल्कि समाज में पनप रही महिला विरोधी मानसिकता को खत्म करना होगा।
आज के पूंजीवादी समाज में पूंजीपति वर्ग अपना माल बेचने के लिए महिलाओं के शरीर का इस्तेमाल करता है और इस प्रक्रिया में खुद महिलाओं का भी वस्तुकरण कर देता है। यानि अपने माल की तरह महिलाओं को भी उपभोग की वस्तु बना देता है। यही नहीं मुनाफे के लिए वो अरबों रूपयों का पोर्न फिल्मों का धंधा खड़ा करता है और नेट आदि माध्यम से उसे बच्चे-बच्चे के पास पहुंचाता है। साथ ही वो महिला विरोधी मूल्यों को पाल-पोस कर अरबों रूपयों का अपना सौंदर्य प्रसाधन का धंधा चलाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में पूंजीपति तो खूब मुनाफा कमाता है परंतु समाज में पहले से मौजूद महिला विरोधी संस्कृति और मजबूत हो जाती है। और ये पहले से मौजूद संस्कृति और कुछ नही बल्कि सामंती पुरुष प्रधान मानसिकता है। इस प्रकार हम पाते हैं कि पुरुष प्रधान मानसिकता व उपभोक्तावादी संस्कृति महिलाओं की स्थिति को समाज में निरंतर गिराते जा रही है और उन पर बढ़ रहे हमलों का यही मुख्य कारण है।
इसके अलावा सरकारों की महिला सुरक्षा के मामले में उदासीनता इन अपराधों को और बढ़ा रही है। जहां तक बात भाजपा सरकार कि है तो वो अपनी पिछली सरकारों से भी ज्यादा महिला विरोधी है। ये तो महिला सुरक्षा के नाम पर सारी महिलाओं को घरों में ही कैद कर देना चाहती है।
महिलाओं की सुरक्षा इस महिला विरोधी सोच को खत्म करते हुए हर स्तर पर महिला-पुरुष बराबरी का समाज बनाने में है। और ये केवल समाजवादी समाज में ही हो सकता है। रूस, चीन जैसे देश भी इस बात के गवाह है कि जब तक इन देशों में समाजवाद रहा तब तक ये देश महिलाओं की बराबरी को तेजी से आगे बढ़ा रहे थे। परंतु आज पूंजीवादी रूस व चीन में भी महिलाओं की वही स्थिति है जो अन्य देशों की है। इसलिए हमें समाज में बढ़ रही महिला हिंसा के खिलाफ समाज को आंदोलित करते हुए समाजवादी भारत के निर्माण के पथ पर आगे बढ़ना होगा।
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