शुक्रवार, 2 मार्च 2018

एक अज्ञात महिला के नाम पत्र (4 अक्टूबर, 1899)

( महान रूसी साहित्यकार तोलस्तोय (लेव निकोलायेविच तोलस्तोय, 1828-1910) अपनी अनमोल साहित्यिक कृतियों के कारण समूचे विश्व मेें महान साहित्यकारों में जाने जाते हैं। इस महान साहित्यकार की कलात्मक रचनाएं करीब डेढ़ सौ वर्षों से मानव जाति को उद्वेलित करती आ रही हैं। उन्होंने उपन्यासों, कहानियों  के अलावा बच्चों के लालन-पालन,  उनकी शिक्षा-दीक्षा के बारे में भी गहन रूप से अध्ययन किया। इस रूप में वे एक बड़े शिक्षा-सिद्धान्तकार और बच्चों के शिक्षण तथा पालन के क्षेत्र में  नये विचारों, नयी पद्वतियों के प्रवर्तक भी थे। उनके गहन चिंतन और अथक सृजनात्मक श्रम ने महान विचारक को गंभीर शिक्षाशास्त्रीय निष्कर्षों पर पहुंचाया था। उन्हीं का लिखा हुआ एक पत्र जो उन्होंने ‘एक अज्ञात महिला के नाम पत्र’ शीर्षक से लिखा था को हम प्रकाशित कर रहे हैं। यह पत्र मुख्यतया इस बात को इंगित करता है कि बच्चे का पालन किस तरह से किया जाना चाहिए। उस मासूम बच्चे का, जिसका मन अभी बिल्कुल निर्मल और बेदाग है। जिसमें अभी कुुछ भी नहीं लिखा गया है। जिसमें अब भविष्य की इमारत की ताबीर होनी है। इस निर्मल और बेदाग मन पर भावी निर्माण कैसा होगा? खूबसूरत होगा या बदसूरत यह जिम्मेदारी अब बच्चे के उस पालक की बन जाती है जिसके हाथों में बच्चे का लालन-पालन होना है।   -संपादक )


पालन उसकेे दिल पर छाप डालने का दूसरा नाम है, जिनका हम पालन कर रहे हैं। दिल पर छाप सिर्फ सम्मोहन के जरिये ही डाली जा सकती है और बच्चे सम्मोहन के, मिसाल की छूत के शिकार आसानी से बन जाते हैं। बच्चा देखता है कि मैं उत्तेेजित हूं, दूसरों का अपमान करता हूं और उन्हें वह काम करने को मजबूर करता हूं जिसे मैं खुद भी कर सकता था। बच्चा देखता है कि मैं अपने लालच और लिप्साओं के बारे में चुप्पी लगा जाता हूं, कि मैं औरोें के लिए काम करने से कतराता हूं तथा अपना ही संतोष ढूंढता हूं, कि मैं अपनी स्थिति पर घमंड-मित्था घमंड-करता हूं, कि मैं दूसरों की बुराई करता हूं, कि मैं पीठ पीछे वह नहीं करता जो मुुंह सामने कहता हूं, कि मैं वह मानने का दावा करता हूं जिसे वास्तव में नहीं मानता। बच्चा मेरी इस तरह की हजारों हरकतें देखता है या इसके विपरीत मेरा दब्बूपन, विनम्रता, मेहनतपसंदी, आत्मत्याग, संयम, सत्यपरकता आदि देखता है और उनसे जितना प्रभावित होता है; ऊंची-ऊंची और तर्कों से भरी नसीहतों से उसके सौवें हिस्से जितना प्रभावित नहीं होता है। इसलिए सारा या 0.999 प्रतिशत पालन मिसाल पर, अपने जीवन की कमियों  को दूर करने पर निर्भर है।
इस तरह आपने आदर्श यानी भलाई के बारे में, जिसकी केवल अपने भीतर प्राप्ति में कोई संदेह नहीं हो सकता, सोचते हुए अपने भीतर जिस चीज से शुरू किया था, उसी चीज पर अब आप बच्चों का पालन किये जाने से बाहर से पहुंचे हैं। कारण भली-भांति न जानते हुए भी जो चीज आप अपने लिए चाहते थे, वही चीज अब आपके लिए इसलिए आवश्यक हो गयी है कि बच्चे भ्रष्ट न हो जायें।
पालन से सामान्यतः या तो बहुत अधिक या फिर बहुत कम अपेक्षा की जाती है। यह अपेक्षा करना असंभव है कि जिसका हम पालन कर रहे हैं वे अमुक-अमुक चीज सीख लेंगे, अमुक-अमुक शिक्षा (जिस अर्थ में हम शिक्षा शब्द को समझते हैं) पा लेंगे। इसी तरह यह भी असंभव है कि वे नैतिक बन जायेंगे, जिस अर्थ में हम इस शब्द को समझते हैं। पर यह सर्वथा असंभव है कि हम स्वयं बच्चे को बिगाड़ने में भागीदार न बनें (इसमें न पत्नी पति को रोक सकती है और न पति पत्नी को रोक सकता है ) बल्कि जीवनभर भलाई की मिशालें पेश करते हुए यथाशक्ति उन्हें प्रभावित करते रहें ।
मैं समझता हूूं कि अगर हम खुद अच्छे नहीं हैं तो बच्चों को अच्छा पालन, अच्छी शिक्षा देना कठिन ही नहीं असंभव भी है। बच्चों का पालन मात्र आत्मपरिष्करण है और इसमें सबसे अधिक मद्दगार बच्चे होते हैं। जिस तरह तम्बाकू पीनेवालों, शराबियों, पेटुओं, निठल्लों और रात-रात भर जागनेवालों की डाक्टर से यह मांग हास्यजनक लगती है कि वह उनके उट-पटांग रहन-सहन के बावजूद उन्हें स्वस्थ बना दें , उसी तरह लोगांे की यह मांग हास्यजनक है कि उन्हें अपना अनैतिक जीवन छोड़ने को भी विवश न किया जाये और साथ ही बच्चों का नैतिक पालन करने का ढंग भी सिखाया जाये। पालन का सारा भेद अपनी गलतियों को ज्यादा से ज्यादा समझने और उनसे छुटकारा पाने में है। और यह हर कोई तथा हर प्रकार की जीवनीय परिस्थितियों में कर सकता है। यही  वह सबसे शक्तिशाली औजार भी है जो मनुष्य को अन्य लोगों पर प्रभाव डालने के लिए मिला हुआ है। अन्य लोगों में अपने बच्चे भी आ जाते हैं जो हमेशा अनजाने ही हमारे सबसे निकट होते हैं। Fais ce que dois, advienne que pourra (परिणाम की चिंता किये बिना अपना कर्तव्य करते जाओ) - यह उक्ति सबसे अधिक पालन पर ही लागू होती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें