बुधवार, 10 मई 2017

एबीवीपी की गुडांगर्दी व आम छात्र

-सोनल

        बरेली कालेज इन दिनों गुण्डागर्दी का अड्डा बना हुआ है। गुण्डागर्दी के सामने कालेज प्रशासन कुछ ना कर पाने की स्थिति में है। भारी मात्रा में पुलिस बल लगाकर ही कालेज प्रशासन परीक्षाएं करवा पा रहा है। वैसे तो आज के इन हालातों की जड़ें काफी गहरी हैं किन्तु वर्तमान में यह 19-20 मार्च को सेमिनार में एबीवीपी की तोड़फोड़ में दिखी।

         19-20 मार्च को कालेज के हिन्दी विभाग द्वारा दो दिवसीय सेमिनार आयोजित करवाया जा रहा था। सेमिनार में मूलतः शिक्षक ही शामिल थे। सेमिनार में बनारस हिन्दू वि.वि. के रिटायर्ड प्रोफेसर चैथीराम यादव के किसी वक्तव्य जो कि उन्होंने आरएसएस की आलोचना करते हुए दिया था पर कुछ शिक्षकों द्वारा आपत्ति की थी। किन्तु बात यहीं नहीं रुकी कुछ समय बाद एबीवीपी के लम्पट कार्यकर्ता वहां पहुंच गये और ‘मोहन भागवत व गोलवरकर को सेमिनार में आतंकवादी कहा गया’ कहकर विवाद खड़ा कर, उत्पात करना शुरू कर दिया। सेमिनार में लगे पोस्टर, बैनर फाड़ दिये, कुर्सियां मेज उलट-पटल कर पूरा सेमिनार स्थल तरह-नहस कर दिया। कालेज प्रशासन व पुलिस इन लम्पट तत्वों के सामने बेचारगी से खड़े रहे। ये बेचारगी इसलिए थी क्योंकि ये एबीवीपी लम्पट भाजपा, आरएसएस की हूल दे रहे थे। काफी समय की मशक्कत व मिन्नतों के बाद जाकर प्रशासन इन्हें शांत करवा पाया। एबीवीपी चैथी राम यादव व कार्यक्रम के आयोजकों की गिरफ्तारी की मांग करता रहा।

        19 के बाद 20 को भी एबीवीपी का यह उत्पात जारी रहा और 20 के बाद सछास व एबीवीपी का विवाद चलता रहा। 2 लम्पट तत्व जो एबीवीपी के कार्यकर्ता थे द्वारा कालेज में ईंट-पत्थर लेकर प्राक्टर को मारने के लिए घूमते रहे। इन तत्वों पर पहले भी कई आपराधिक मुकदमें शहर व कालेज प्रशासन द्वारा दर्ज करवाये गये थे। किन्तु पुलिस ने इन्हें कभी नहीं पकड़ा। पुलिस इन लम्पट तत्वों को शह देती रही या अकर्यमण्यता की स्थिति में ही रही।

        सेमिनार में तोड़-फोड़ या कालेज में गुण्डागर्दी एबीवीपी के लिए कोई नयी बात नहीं है। इलाहाबाद, बीएचयू, डीयू(रामजस), जेएनयू, हरियाणा वि.वि. इसके हालिया उदाहरण हैं। बरेली कालेज में ही इससे पूर्व में उर्दू विभाग द्वारा कराये जा रहे सेमिनार में एबीवीपी द्वारा दीप जलाने को लेकर घंटों उत्पात मचाया गया था।

        सरकारें कानून बनाकर देश व शिक्षण संस्थानों में जनवादी माहौल सीमित कर रही हैं तो उसी के नक्शे कदम पर चलकर एबीवीपी व ऐसे ही तमाम संगठन लम्पटाई से जनवाद को कुचल रहे हैं। केन्द्र-यूपी में सरकार व सांसद, विधायक भाजपा के होने के कारण भी एबीवीपी निरंकुश ढंग से गुण्डागर्दी पर उतारू है। इसे पसंद ना आने वाली चीजों को यह तोड़ दे रहा है और जो बात इन्हें पंसद नहीं उसे दबा दे रहा है। इस तरह कालेज में बेहद सीमित जनवाद को ये पूरी तरह खत्म कर देना चाहते हैं।

        कालेज प्रशासन इस लम्पटाई-गुण्डागर्दी का बहाना बनाकर आम छात्रों पर और अधिक अंकुश लगा रही है। उनके जनवादी अधिकारों पर कुठाराघात कर रही है। कालेज को पुलिस छावनी बना दिया जा रहा है। बैरिकेट पर चैकिंग बढ़ा दी जा रही है। छात्रों पर उठने-बैठने सरीखे तमाम तरह से पाबंदियां लगा दी जा रही हैं।

        आम छात्र ही इस गुण्डागर्दी से पीड़ित हैं और उन्हें ही निशाना बनाया जा रहा है। कालेज-प्रशासन अपने प्रशासन को चलाने के लिए कभी इस तो कभी उस संगठन को शह देता रहा है। कालेज में प्रशासन की धडे़बंदी भी अलग-अलग संगठनों को शह देती रहती है जिस कारण इन गुण्डा तत्वों के हौसले काफी बुलंद रहते हैं। कालेज प्रशासन छात्रों व छात्र आंदोलनों पर अंकुश लगाने या अपने नियंत्रण में रखने के लिए लम्पटों को शह देता रहा है। शह देते-देते ये लम्पट इतने उपद्रवी हो जाते हैं कि कभी-कभी ये कालेज प्रशासन के लिए भी समस्या पैदा कर देते हैं। प्रशासन के लिए यह समस्या तात्कालिक है किन्तु छात्र व छात्र आंदोलनों के लिए यह समस्या दीर्घकालिक है। एबीवीपी की गुण्डागर्दी देश के छात्र आंदोलन को बदनाम करती है। और शासन-प्रशासन को मौका देती है कि वह सही आंदोलनों को कुचल सके।

        एबीवीपी की गुण्डागर्दी कारगुजारियां भाजपा-आरएसएस के फासीवादी मंसूबों का ही एक हिस्सा है। जिसके तहत वो अल्पसंख्यकों, जनवादी, क्रांतिकारी ताकतों को खत्म कर देश को फासीवाद की दिशा में ले जाना चाहते हैं। छात्रों को इस मौजूदा खतरे को समझते हुए अपने संघर्षों को इनके खिलाफ लक्षित करने की आश्यकता है।

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