दुनियाभर में इजरायली शासकों के विरोध में प्रदर्शन
इजरायली शासकों द्वारा गाजा पर लगातार बमबारी जारी है। जिसमें अभी तक लगभग 10,000 लोग मारे गये हैं। गाजा अत्यधिक घना बसा आबादी क्षेत्र है। यहां मिसाइल हमलों का मतलब सीधे आम नागरिकों को निशाना बनाना है। इजरायली मिसाइल हमलों में अस्पताल और शरणार्थी शिविरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। इजरायली शासकों के इन कुकर्मों के विरोध में दुनियाभर में जनता आक्रोशित है। इसमें प्रमुखता से इजरायली शासकों का विरोध, मानवीय सहायता दिये जाने, शांति तथा नागरिक हत्याओं पर रोक, गाजा से घेराबंदी हटाने आदि प्रमुख मांगें हैं। भारत, युनाइटेड किंगडम, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी आदि देशों में जनता को इजरायली शासकों के कुकर्मों का विरोध करते हुए अपनी सरकारों के दमन का भी सामना करना पड़ रहा है।
इजरायल- इजरायली जनता ने अपने शासकों की युद्ध नीतियों के विरोध में प्रदर्शन आयोजित किए। इन प्रदर्शनों में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के इस्तीफे की भी मांग की गयी। वहीं सरकार समर्थक लोगांे ने इजरायली हमलों को जायज ठहराया।
फिलिस्तीन- अल-अहली अरब अस्पताल पर हमले के बाद वेस्ट बैंक और येरूशलम में इजरायल विरोधी प्रदर्शन हुए। गाजा में शरणार्थी शिविर पर हमले के बाद पूर्वी येरूशलम में आम हड़ताल हुयी।
दक्षिण अफ्रीका- गाजा पर हमले के विरोध में केपटाउन में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने सड़कों पर मार्च निकाला। इस दौरान मंडला मंडेला ने राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन के पक्ष में बोलने और मानवीय संकट पर कार्यवाही करने की मांग की।
ट्यूनीशिया- ट्यूनीशिया में जनता ने इजरायली शासकों का विरोध करने के साथ ही अमेरिकी और फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों का भी विरोध किया। इसके लिए उन्होंने अमेरिकी और फ्रांसीसी दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया। पश्चिमी साम्राज्यवादियों के इजरायल समर्थन के चलते जनता ने नारे लगाये- ‘‘फ्रांसीसी और अमेरिकी भी हमले में भागीदार हैं।’’
कनाडा- कनाडा के प्रमुख शहरों ओटावा, मान्ट्रियल, एडमोटन, कैलगरी, टोरंटो, वैंकूवर में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन आयोजित हुए। लोगों ने विदेश मंत्री सहित कई नेताओं के कार्यालयों पर युद्ध विराम की मांग करते हुए प्रदर्शन किये।
अमेरिका- अमेरिका में लगभग 1,80,000 लोग प्रदर्शनों में शामिल हुए। प्रदर्शनों में लोगों ने युद्धविराम, फिलिस्तीन में मानवीय सहायता पहुंचाने की मांगें की। साथ ही, अमेरिका की इजरायल समर्थक नीति और हथियार मुहैय्या कराने का विरोध किया। कई जगहों पर प्रदर्शनों के दौरान इजरायल समर्थकों ने झड़प और हिंसा की। अमेरिकी शासकों ने इजरायल समर्थकों की अराजकता में भरपूर सहयोग दिया।
आस्ट्रेलिया- आस्ट्रेलिया के सिडनी, मेलबर्न आदि प्रमुख शहरों में फिलिस्तीन के समर्थन में हजारों लोग सड़कों पर उतरे। प्रदर्शन में लोगों ने आस्टेªलियाई सरकार से इजरायल को समर्थन बंद करने की मांग की।
फ्रांस- फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फिलिस्तीन समर्थकों के प्रदर्शनों पर ‘‘संघर्ष को घर में न लाने’’ के नाम पर प्रदर्शनों पर रोक लगायी। इसके बावजूद फिलिस्तीन समर्थक सड़कों पर उतरे तो पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारें कर प्रदर्शनों का दमन किया। वहीं दूसरी तरफ इजरायल समर्थकों की रैली आयोजित होने दी गयी। 22 अक्टूबर को फिलिस्तीन समर्थन रैली को अनुमति दी गयी जिसमें लगभग 22,000 लोगों ने भागीदारी की।
जर्मनी- जर्मनी में सरकार ने फिलिस्तीन समर्थक रैली आयोजित करने पर प्रतिबंध लगा दिया। इजरायली हमलों के विरोध में हुए स्वतःस्फूर्त प्रदर्शनों का पुलिस ने बलपूर्वक दमन किया।
स्विट्जरलैंड- स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र संघ के यूरोपीय मुख्यालय के सामने फिलिस्तीन के समर्थन में रैली की।
बेल्जियम- बेल्जियम में चार ट्रेड यूनियनों ने अपने सदस्यों से युद्ध में मदद के लिए भेजे जा रहे हथियारों को चढ़ाने-उतारने से मना करने की अपील की है। यूनियनों ने संघर्ष विराम की मांग की। साथ ही सरकार के रूस-यूक्रेन युद्ध में दिशा-निर्देश देने पर फिलिस्तीन पर हमले में हथियार भेजकर मदद करने की नीति का विरोध किया।
इजरायल के फिलिस्तीन पर अवैध कब्जे से लेकर वर्तमान हमलों का दुनियाभर में विरोध हो रहा है। यह विरोध दिनोंदिन बढ़ रहा है। वैश्विक तौर पर जनता इजरायल की आक्रामकता पर विरोध दर्ज करा रही है। इन विरोध प्रदर्शनों को सभी महाद्वीपों के सभी प्रमुख शहरों में देखा जा रहा है। फिलिस्तीन की राष्ट्रमुक्ति इस क्षेत्र में शांति सहित पूरी दुनिया की मेहनतकश जनता की साम्राज्यवाद विरोध की लड़ाई का हिस्सा है। जनता के व्यापक संघर्ष साम्राज्यवादियों के नापाक इरादों को विफल करेंगे।
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