शनिवार, 25 जनवरी 2020

कृपया ध्यान दें यह हत्या कश्मीर में नहीं लालकुआं में हुयी

सूरज सक्सेना, नानकमत्ता (उत्तराखंड) से आई.टी.बी.पी. (भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल) में भर्ती होने को आयोजित दौड़ में हिस्सा लेने 15 अगस्त को लालकुआं (उत्तराखंड) के आई.टी.बी.पी. संस्थान में पहुंचे। 16 अगस्त को तय समय से पहले सूरज ने दौड़ पूरी कर ली। दोपहर की तपती धूप में खड़ा सूरज दौड़ पूरी कर लेने के बाद मिलने वाला टोकन लेने पहुंचा। टोकन ना दिये जाने पर उसे हैरानी हुई और वह इस पर सवाल करने लगा। टोकन की जगह जवाब में उसे मिली लाठी-डण्डे और और फौजी बूटां की मार।


उसको इतने वीभत्स तरीके से मारा गया कि देखने वालों की रूह तक कांप गई। मार से बेहोश हुए सूरज को कहीं छुपा दिया गया। उसके परिजनों को 16 अगस्त को उसी के दोस्त के हाथों बैंग सहित जवाब भिजवाया की वह जंगल की तरफ भागा है। 17 अगस्त को उसके परिजन क्षेत्रवासियों के साथ आई.टी.बी.पी. के आसपास के इलाके में खोजबीन को निकले। उसके ना मिलने पर रिपोर्ट दर्ज कराने थाने में गये। उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी। आक्रोशित लोगों व परिजनों ने नानकमत्ता बाजार बंद कराया। बढ़ते जन दबाव और लोगों का आक्रोश देखते हुए लालकुआं पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। 18 अगस्त को बड़ी संख्या में नानकमत्ता से आये लोग फिर से सूरज को ढूढ़ने निकले। वे आई.टी.बी.पी. व प्रशासन के लिए परेशानी का सबक बन चुके थे। आई.टी.बी.पी. वालों ने ही परिजनों को बताया एक लाश झाड़ियों के पास पड़ी है। देख लो किसकी है। परिजनों सहित भारी संख्या में लोग आई.टी.बी.पी. के संस्थान में जमा थे। आई.टी.बी.पी. के ही पुराने संस्थान की झाड़ियों में देखा तो शव सूरज का ही था। उन्हीं के संस्थान के अन्दर एक नौजवान के शव ने लोगों को आक्रोश से भर दिया। संस्थान के अन्दर शव मिलने से पूरी आई.टी.बी.पी. की बटालिन/टुकड़ी हत्या की आरोपी बन जाती है।

एक गरीब परिवार जिसमें तीन भाई-बहन में सबसे छोटे होनहार नौजवान छात्र की मौत से लोग दुखी व सन्न थे। उसके पिता फल की ठेली लगाकर परिवार चला रहे थे। सूरज की पूरी जिन्दगी अभी बाकी थी वह अपने जीवन के सपने बुनकर, परिवार की उम्मीदें लेकर सेना में भर्ती होने आया था। उसकी आंखों में भविष्य के सपने व वर्तमान की उम्मीदें तैर रही थी। इस हत्या ने उसके सारे सपनों को और उसके मां-बाप की उम्मीदों को एक ही पल में मार डाला। छोटे भाई की मौत से स्तब्ध व व्यथित बड़े भाई ने 70 दिन बाद आत्महत्या कर ली। छोटे भाई की हत्या के बाद से ही वह सुनसान रहने लगा था।

आई.टी.बी.पी. के संस्थान में हत्या से लालकुआं, बिन्दुखत्ता व हल्दूचौड़ के युवाओं, महिलाओं सहित न्याय पसंद लोग आक्रोशित व स्तब्ध थे। 19 अगस्त को लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के सैकड़ों छात्र नौजवान सूरज की मौत के विरोध में अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए महाविद्यालय से आई.टी.बी.पी. के संस्थान तक हाथों में तख्तियां लिए जुलूस निकालते हुए पहुंचे। छात्र अपने नारों में दोषियों को कठोर सजा देने, आरोपी आई.टी.बी.पी. के जवानां की तत्काल गिरफ्तारी व भर्तियों में नौजवानों से बदसुलूकी का विरोध कर रहे थे।

एक युवा लड़के की मौत लालकुआं इलाके की मांओ व न्यायपसंद जनता का को घरों में ना रोक सका। हल्दूचौड़, बिन्दुखत्ता की सैकड़ो महिलाएं आई.टी.बी.पी. के गेट पर घंटो तक नारेबाजी व प्रदर्शन करते रहे। वह गिरफ्तारी व कठोर सजा की मांग कर रहे थे। नानकमत्ता व स्थानीय जनता का भारी जनसमर्थन देखकर पुलिस-प्रशासन सक्रीय हुआ। वह जांच कर 5 दिन में हत्या के खुलासे की बात करने लगा। 5 दिन तक परिजनों ने आश्वासन माना।

5 दिन में सूरज की मौत का खुलासा ना होने पर उनका धैर्य भी जवाब दे गया। 24 अगस्त को परिजनों सहित नानकमत्ता से मोटर साईकिलों व अन्य वाहनों आदि में आए सैकड़ों लोग व स्थानीय जनता ने आई.टी.बी.पी. के द्वार पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों ने नानकमत्ता से आए लोगों के लिए शौच, स्नान आदि का घरों में इंतजाम किया। उनके भोजन का इंतजाम स्थानीय जनता व सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से किया गया। स्थानीय जनता का आंदोलन को सक्रिय सहयोग व समर्थन मिलता रहा। 

ग्रामीणों की सड़क को आई.टी.बी.पी. द्वारा भर्ती के दौरान अभ्यर्थियों के दौड़ के लिए हाइजैक कर लिया जाता है। जैसे आबादी के लिए सड़क में कर्फ्यू लगा हो ऐसा सन्नाटा जनता के लिए छा जाता है। वह अतिआवश्यक कार्यों के लिए भी वहां से नहीं निकल सकती है।

अपने चरित्र के अनुरूप शासन-प्रशासन जांच तेज करने की बात कहने लगा। स्थानीय विधायक, नानकमत्ता के नगर पंचायत अध्यक्ष, पूर्व महिला आयोग की उपाध्यक्ष व पुलिस-प्रशासन 2 दिन में जांच करने के आश्वासन पर धरना समाप्त करने की मांग करने लगे। स्थानीय विधायक जब अपनी बात ही रख रहे थे। तभी सूरज की बहन ने विधायक को रोककर बोला- ‘आवाज नहीं आ रही है, अगर बोलना है तो जोर से बोलो, नहीं तो कोई बात नहीं।’ नौजवान महिला के इस तरह से जवाब देने पर विधायक व नेता लोग सन्न रह गये। धरना समाप्त करने की बात पर सूरज की बहन ने कहा कि- ‘हमने पुलिस के हाथ नहीं बांधे हैं पुलिस अपना काम करे, यहां से मेरी लाश जायेगी या आई.टी.बी.पी. के जवान सलाखों के अन्दर होंगे। हमारा धरना अपराधियों को कठोर सजा दिलाने तक जारी रहेगा।’ धरने को समाप्त करने की मांग करने वाले नेताओं और प्रशासन को यहां से बेरंग वापस लौटा दिया गया।

नेता व प्रशासनिक अधिकारी एक नौजवान की हत्या के अरोपियों को कठोर सजा दिलवाना छोड़ आई.टी.बी.पी. के जवानों व टुकड़ी को बचाने में लगे रहे। उनकी पक्षधरता न्याय के साथ नहीं अपराधियों के साथ थी।

अरोपित किये गये 3 जवानों को कितनी सजा मिल पाती है, पुलिस-प्रशासन सबूत एकत्रित करके कितना मामले को पहुंचा सकता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। इस तरह की घटनाएं भर्ती के समय अलग-अलग जगह होती रहती हैं। नौजवानों के सपने तोड़े जाते हैं। इस तरीके के हर उत्पीड़न व गैरबराबरी के खिलाफ संघर्ष कर व्यापक जनता की एकजुटता बनाकर ही इसको रोक सकते हैं।
                                             (वर्ष-11 अंक-1 अक्टूबर-दिसम्बर, 2019)

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