शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

और व्यापम के बाद अब डीमेट घोटाला

        व्यापम के अलावा मध्यप्रदेश में अब डेंटल एंड मेडिकल एंट्रेंस टैस्ट (डीमेट) घोटाला सामने आया है। प्राइवेट मेडिकल और डेंटल कालेजों में मैनेजमेंट कोटे की सीटों को भरने के लिए एसोसियेशन फाॅर प्राइवेट मेडिकल एंड डेंटल कालेज (एमपीएमडीसी) डीमेट कराती है। इनमें 15 प्रतिशत सीटें एनआरआई, 43 प्रतिशत सीटें डीमेट और 42 प्रतिशत सीटें स्टेट कोटे से यानी पीएमटी के जरिए भरी जाती हैं।

        मध्यप्रदेश में 7 प्राइवेट मेडिकल कालेज व 14 प्राइवेट डेंटल कालेज हैं। इसमें एमबीबीएस की 900, एमडी व एमएस की 222, बीडीएस की 1320 व एमडीएस की 117 सीटें हैं। सोचने वाली बात है कि मोटा मुनाफा कमाने के उद्देश्य से खोले गये इन निजी शिक्षण संस्थानों का ध्येय वाक्य हर कीमत पर पैसा इकट्ठा करना है। छात्रों से मोटी फीसों के अलावा ये सीटों को बेचकर अकूत मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। आरोप लग रहे हैं कि डीमेट में तो गड़बड़ी होती ही थी, सरकारी कोटे की सीटों को भी गलत तरीके से बेचा जाता था।

        निजी कालेज डमी उम्मीदवारों का चयन डीमेट पीएमटी में करवा देते थे। बाद में इन डमी उम्मीदवारों की सीटें सरेंडर करवा दी जाती थीं। फिर खाली सीटों को वेटिंग लिस्ट के उम्मीदवारों से भरने के बजाय बेच दिया जाता था। यह मामला भी व्यापम की तरह हाईकोर्ट में पहुंच गया है। इसकी जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग हो रही है। 
        यह घोटाला तब सामने आया जब व्यापम में निदेशक रहे और वहां से रिटायरमेंट के बाद डीमेट के कोषाध्यक्ष रहे योगेश उपरीत की गिरफ्तारी हुई। वह दस साल तक डीमेट के परीक्षा नियंत्रक भी रहे। उपरीत को व्यापम की प्रि पीजी परीक्षा में जबलपुर के एक बड़े डाक्टर की बेटी को फर्जी तरीके से पास कराने के आरोप में 3 जून को गिरफ्तार किया गया। कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार के मंत्री व कुछ बड़े अफसर इसमें लिप्त हैं। इस घोटाले के 10,000 करोड़ से ज्यादा बड़े होने की संभावनाएं जाहिर की जा रही हैं। उपरीत ने बयान देकर कहा है कि हर साल लगभग 1500 सीटों पर प्राइवेट मेडिकल कालेज वाले अपनी मर्जी से भर्ती करते थे। इसमें बीडीएस, एमबीबीएस, एमएस और एमडी की सीटें शामिल हैं। एक उम्मीदवार से 50 लाख से लेकर डेढ़ करोड़ तक लिया जाता रहा। निजी मेडिकल कालेजों में वर्ष 2010 से लेकर वर्ष 2013 तक 721 छात्रों को दिये गये प्रवेश की जांच करने को कहा गया है। ये 721 सीटें निजी कालेजों ने खुद ही काउंसलिंग कर भर दी थीं। 
        इस प्रकार इन प्राइवेट कालेजों ने न सिर्फ मोटी फीसों के जरिये बल्कि बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार कर लूट का साम्राज्य खड़ा किया है। जब लूट के उद्देश्य से निजी शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं तो पूंजी अपना चरित्र यहां भी दिखायेगी। शिक्षण संस्थान, उच्च गुणवत्ता आदि-आदि पवित्र बातें करते हुए ये आज भ्रष्टाचार का अड्डा बनते जा रहे हैं। शिक्षा के निजीकरण के जरिये निजी पूंजी को मिली छूट ने शैक्षिक संस्थानों को और खूंखार तथा मारक बना दिया है। पूंजीपति किसी भी कीमत पर संपत्ति में वृद्धि चाहता है। उसके लिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह शैक्षिक संस्थान चला रहा है या अस्पताल। हर जगह वह पूंजी का हाहाकार ही कायम करेगा। 
  

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